सरकार द्वारा गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए योजना की शुरुआत की थी। ग्रामीणों को बाहर शौच जाने पर रोक लगाने के लिए सभी गांव में सार्वजिक शौचालय की व्यवस्था की गई थी। जिसके लिए समूह के द्वारा महिलाओ को रोजगार भी दिया गया। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत अलग ही बया कर रही है। कही शौचालय में ताला लगा लगा हुआ है तो कही शौचालय अपने अंतिम दिन में पहुँचता जा रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते योजना ठिठक गई।

गांवों में लाखों खर्च कर बनवाए गया यह सार्वजनिक शौचालय बेमानी साबित हो रहा हैं। कहीं पानी टंकी नहीं रखवाई गई है तो कहीं निर्माण ही अधूरा है। कई जगह बनने के बाद से ही शौचालयों के मुख्य गेट पर ताला लगा है। ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। ‘खुले में शौच मुक्त’ का दावा छलावा साबित हो रहा है। वहीं ग्रामीण महिला राधा ने बताया कि यह शौचालय अभी चालू नहीं हुआ है। मिट्टी वैसे पड़ी हुई है गड्ढा बन गया है लेकिन ढक्कन नहीं है। अभी हम लोग शौच के लिए बाहर खेतों में जाते हैं।

वही समूह के सदस्य और सार्वजनिक शौचालय की देखरेख करने वाली इंद्रावती ने बताया कि यहां पर लाइट की व्यवस्था नहीं है, समरसेबल चालू नहीं है। मैं यहां पर 3 माह से ड्यूटी कर रही हूं, अभी शौचालय नही चालू हुआ है। अधिकारी आते हैं और आदेश देकर चले जाते हैं लेकिन कोई काम नहीं होता। वही एक समूह की अध्यक्ष रेनू ने बताया कि प्रधान के द्वारा सार्वजनिक शौचालय के बाहर मिट्टी डलवाने के नाम पर समूह में आया पैसा ले लिया गया है। एक सप्ताह पूर्व पैसा आया था जिसको प्रधान ने मिट्टी डलवाने के लिए निकलवा लिया है।