कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर किसान आंदोलन को आज एक साल पूरा हो चुका है। किसानों के आंदोलन को 1 साल पूरा होने पर आज गाजियाबाद के यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान पहुंचे। जहां पर अगली रणनीति तय की जा रही है। हालांकि किसानों के लंबे आंदोलन के बाद साल के अंत में प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा कर दी। जिसके बाद किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

लेकिन किसान नेताओं ने अभी भी किसानों से घर वापस जाने को नहीं कहा हैं।किसान नेताओं का कहना है कि भले ही प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि क कानून वापस लिए जाने की घोषणा कर दी हो। लेकिन किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानून बनाए जाने की है।इसके अलावा किसानों की और भी कई मांग है।जिसके बारे में सरकार से जब तक वार्ता नहीं होगी तब तक किसान घर वापसी नहीं करेंगे।

यूपी गेट गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान एकत्र हुए और सभी किसान अपने – अपने ढंग से खुशी का इजहार कर रहे हैं। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष जगतार सिंह बाजवा और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी किसानों के बीच पहुंचे ।जहां पर एक महापंचायत का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर मौजूद रहे संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसी कानून वापस लिए जाने की घोषणा अवश्य कर दी है। लेकिन किसानों की अभी तमाम ऐसी मांग है।जिन्हें सरकार को बहुत पहले ही पूरा करना चाहिए था। किसानों की उन मांगों पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है।

इसलिए किसानों की अगली रणनीति क्या होगी । उसके लिए एक महापंचायत की जा रही है।जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि किसानों का यह आंदोलन काफी लंबा चला है और आज इस आंदोलन को एक साल पूरा हो चुका है। अभी तक जो किसानों ने आंदोलन किया इसमें किसानों की जीत हुई है और आगे भी किसानों की जो मांग है वह पूरी कराए जाने का प्रयास रहेगा इसलिए आंदोलन अभी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह से कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा की है। यह घोषणा बहुत पहले हो जानी चाहिए थी। यदि यह घोषणा पहले हो जाती तो शायद जितने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं वह नहीं होते।

इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा कि अभी किसान घर वापसी नहीं करेंगे। क्योंकि सबसे बड़ा मुद्दा किसानों का एमएसपी पर कानून बनाए जाने का है। साथ ही आंदोलन के दौरान जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं। वह भी वापस लिए जाएं। इसके अलावा अन्य कई ऐसी मांग है। जिन्हें पूरा कराने के लिए आंदोलन अभी जारी रखना पड़ेगा।