राजेश सोनी-अमेठी
भारत की आजादी का 75 वीं वर्षगांठ के रूप में पूरे वर्ष भर अमृत महोत्सव भले ही मनाया जा रहा हो। लेकिन अभी भी भारत में तमाम ऐसी जगह हैं जहां पर लोगों को आवागमन की भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। देश ने भले ही 75 साल का विकास कर लिया हो भले ही चांद पर लोग पहुंच गए हो लेकिन अभी भी अपने घर से सड़क पर पहुंचने के लिए लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। यह मामला कोई पिछड़े जनपद का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सबसे वीवीआईपी जनपद में शुमार अमेठी का है। जहां पर वर्षों वर्ष कांग्रेस का राज रहा है कांग्रेस कहती रही कि विकास का मॉडल खड़ा कर दिया है और अब वर्तमान में यहां पर बीजेपी सत्ता में है और विकास की गंगा बह रही है। लेकिन उसके बावजूद जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पूरे ईश्वरी लाला का पुरवा मजरे मिश्रौली गांव के लोगों को यह सब बेमानी लगता है । क्योंकि यहाँ पर निवास करने वाली लगभग 300 लोगों को सड़क तक पहुंचने का कोई मार्ग नहीं है ।
यहां की जनता रास्ते के लिए पिछले 75 वर्षों से इंतजार कर रही है । लेकिन सरकारें आती है जाती है विधायक और सांसद बनते हैं। लेकिन सब जब वोट मांगने का समय आता है तब इस गांव में आते हैं और वोट लेकर और वादे करके चले जाते हैं। लेकिन जीतने के बाद कोई भी विधायक या सांसद इस गांव तक पहुंचने की कोशिश नहीं करता है और ना ही यहां के लोगों की समस्या को समझने की कोशिश करता है। समस्या जस की तस बनी हुई है । इस गांव के सामने से लखनऊ वाराणसी रेल खंड बना हुआ है जहां पर पहले लोग आसानी से क्रॉस कर किसी तरह से आया जाया करते थे ।लेकिन यह समस्या उस समय बढ़ गई जब रेलवे लाइन का दोहरीकरण हो गया जो रास्ता किसी तरह से था भी वह पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया ।
अब गांव से थोड़ी ही दूर पर अंडरपास बनने का प्रस्ताव है लेकिन वह कब बनेगा इसका कोई अता पता नहीं है। अगर बन भी जाता है तो अंडर पास तक पहुंचने के लिए गांव वालों के लिए कोई रास्ता नहीं है। जहां से वह अंडर पास से होकर मेन रोड तक पहुंच सके। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहां के विधायक उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री सुरेश पासी है और यहाँ की सांसद भारत सरकार की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी। इतना ही नहीं इसी के साथ साथ यह भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी की ग्राम सभा है। इतना सब होने के बावजूद इन मजबूर बेबस गांव वालों के ऊपर किसी की भी नजरें इनायत नहीं हो रही है । जिसके चलते थक हार कर गांव वालों ने इस बार आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गांव के बाहर रोड नहीं तो वोट नहीं का बोर्ड लगा दिया गया है। यही नही बोर्ड में यह भी लिखा हुआ है कि एसी में रहने वालों का इस गांव में आना सख्त मना है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई भी नेता बगैर सड़क बनवाए मेरे गांव में आता है तो हम लोग उसको जूतों की माला पहना कर वापस भेज देंगे।
ग्रामीणों के गुस्से का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं आखिर गुस्सा हो क्यों ना यह लाजमी है । क्योंकि बिजली पानी और सड़क यह मूलभूत सुविधाओं में आता है और इस गांव के लोग इन इसी मूलभूत सुविधा से ही वंचित हैं। आप सोच कर देखिए कि जिस गांव में किसी भी तरफ से कोई रास्ता ना हो उस गांव के लोग कैसे रहते होंगे । वहां पर जब भी कोई इमरजेंसी आती है कोई बीमार पड़ता है तो लोग उस बीमार व्यक्ति को कंधे पर लादकर या फिर चारपाई पर लादकर रेलवे लाइन क्रॉस कर मेन रोड तक पैदल ही पहुंचते हैं। तब जाकर उनको साधन सुविधा का लाभ मिल पाता है ।
यही नहीं जब का शादी विवाह होता है तो दूल्हा पैदल जाता है सड़क तक और दुल्हन सड़क से पैदल गांव तक जाती है और तो और जब लोगों को घर बनवाना होता है तो ईटा मोरंग सीमेंट सब दूर ही उतर जाती है सब सर पर ढोकर घर तक लाना पड़ता है। रास्ता न होने की वजह से इस गांव के लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि यह लोग आधुनिक युग में न रहकर पाषाण काल का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसी वजह से इन लोगों के घरों में कोई रिश्तेदार भी नहीं आना चाहता है क्योंकि जो भी आएगा उसको पैदल ही इस गांव तक आना पड़ेगा। गाड़ी उसकी दूर सड़क पर खड़ी हो जाएगी सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस गांव के छोटे-छोटे नौनिहालों को स्कूल जाने में सबसे बड़ी समस्या होती है ।
स्कूल की कोई बस कोई गाड़ी गांव तक नहीं पहुंचती है। अभिभावक बच्चों को लेकर रेलवे लाइन क्रॉस करा कर उस पार छोड़ते हैं तब बच्चे अपने स्कूल जाते हैं और जब उनके आने का समय होता है तो अभिभावक पहुंचकर उनको रिसीव करते हैं और खतरनाक स्टंट करते हुए रेलवे लाइन क्रॉस करते हुए अपने घर तक पहुंचते हैं। इस गांव के लोगों को आकस्मिक सेवाओं का लाभ लेने के लिए से कम 300 मीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है । फिलहाल अब ग्रामीण जाग चुके हैं इन लोगों ने मन बना लिया है कि जब तक हमारे गांव में सड़क नहीं बन जाएगी हम लोगों का आवागमन सुचारू रूप से शुरू नहीं हो जाएगा तब तक हम लोग वोट किसी को नहीं देंगे।