शायद मीडियाकर्मी होने की सजा भुगत रहा हूं मैं और मेरा परिवार?
मैं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से करीब 24 साल से जुड़ा हूं।पहले इस बात को मैं अपना गुरुर समझता था, मगर अब एहसास होता है कि ये मेरा भ्रम था। मैंने अपने इतने बड़े करियर में न जाने कितने लोगों की मदद की। खबर छापकर, खबर दिखाकर, मगर आज जब खुद मेरे इकलौते बेटे को उस अपराध से दो चार होना पड़ रहा है, जिसने न जाने कितने बच्चों को उत्पीड़न से लेकर मौत दे दी, ये एनसीआरबी के आंकड़े बताने को काफी हैं। मेरा बेटा दस दिन पहले ही be tech computer साइंस में दाखिला लेकर कॉलेज जाना शुरू करता है और रैगिंग का विरोध करने पर मारपीट का शिकार बन जाता है। सब कुछ कॉलेज के भीतर और गेट पर होता है।

मारपीट कैमरे में भी कैद हो जाती है। पूरा वाक्या गेट पर मौजूद गार्ड्स के सामने होता है, मगर सब चुप, सब अनजान। मैनेजमेंट रैगिंग से इंकार करता है। गार्ड के खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं, cctv दिखाने को तैयार नहीं। पुलिस को भी कोई शिकायत नहीं। उल्टा दबाव मुझ पर कि यहां माहौल ठीक नहीं तो कहीं और एडमिशन करा लो। कमाल है साहब, अपराधियों की बजाय पीड़ित बच्चे को ही बाहर का रास्ता नापने का सुझाव, वो भी सिर्फ इसलिए कि वो मांग कर रहे है नए छात्रों का उत्पीड़न करने वाले सीनियर के खिलाफ कार्यवाही की मांग। मेने मैनेजमेंट से जांच कर दोषी छात्रों के खिलाफ कार्यवाही के लिए कल तक का समय दिया है। यदि मैनेजमेंट कोई एक्शन नहीं लेता और इस बीच या बाद में मेरे बेटे के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसके जिम्मेदार कॉलेज मैनेजमेंट और मेरे बेटे के हमलावर होंगे। कल इस संबंध में मैं खुद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों से मिलकर कार्यवाही की मांग करूंगा। उम्मीद करता हूं कि मैनेजमेंट ही मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों पर एक्शन ले।

बेटे के मामले में dm ने दिए fir दर्ज कर मैनेजमेंट की भूमिका की जांच के आदेश। Sp देहात को खुद मौके पर जाकर पड़ताल करने का दिया लिखित आदेश।