भारत सरकार कोरोना वैक्सीन को लेकर एक तरफ जहां बेहद सतर्क नजर आ रही है। वहीं दूसरी तरफ वीवीआइपी जनपद अमेठी के स्वास्थ्य विभाग में कोरोना वैक्सीन को लेकर गजब का कारनामा देखने को मिला है । यहां के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ऐसा काम कर दिया गया है कि आप भी सोचने को मजबूर होंगे कि आख़िर स्वास्थ्य विभाग कोरोना वैक्सीन को लेकर इतना लापरवाह कैसे हो सकता है? पूरा मामला अमेठी तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेंटुआ से प्रकाश में आया है।

जहां पर आम जनमानस को टीकाकृत करने के लिए जगह जगह पर कैंप लगाया जाता है और इसके लिए प्रतिदिन कोरोना वैक्सीन की निर्धारित डोज वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचाई जाती है। तमाम ऐसी जगह है जहां पर प्राथमिक विद्यालयों में वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया है और वहां पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी द्वारा कोरोना वैक्सीन प्रतिदिन पहुंचाई जाती है।

प्रतिदिन के रूटीन की तरह कल भी वैक्सीन पहुंचाने वाला जब भेंटुआ ब्लाक अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय सरायपान पहुंचा तो वहां पर देखा कि विद्यालय के गेट पर ताला लगा हुआ है। क्योंकि कल चेहल्लुम का अवकाश होने के चलते विद्यालय बंद था । स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने विद्यालय के बंद गेट के बाहर से ही वैक्सीन के डब्बे को बंद गेट पर लटका कर रफूचक्कर हो गया।

जब लोगों ने ताला लगे गेट पर वैक्सीन का डब्बा टंगा देखा तो लोगों ने दांतो तले उंगली दबा ली और वहां पर मौजूद लोगों ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया । इस मामले में जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ अभिमन्यु वर्मा से बात की गई तो डॉक्टर साहब ने वैक्सीन कैरियर करने वाले कर्मचारी की इस हरकत को हल्के में लेते हुए बताया कि बिल्कुल सही बात है कि उसने वैक्सीन का डब्बा गेट पर टांग दिया ।

क्योंकि चेहल्लुम का अवकाश होने के चलते सभी प्राथमिक विद्यालय बंद है। इसकी पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए स्वास्थ्य कर्मी को हिदायत दे दी गई है की डब्बे को ऐसे ना छोड़े क्योंकि उसमें वैक्सीन रहती है जो बहुत ही कीमती है।

क्टर साहब को वैक्सीन के कीमती होने का एहसास है लेकिन इस बात का एहसास नहीं है कि यह वैक्सीन कोल्ड चैन में रखी जाती है यदि उसकी कोल्ड चेन टूट जाए तो लोगों की जान बचाने वाली यह वैक्सीन लोगों की जान ले भी सकती है । यह कोई हल्की-फुल्की या मामूली गलती नहीं है। यह तो स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा की गई अपने कर्तव्य के प्रति उदासीनता एवं घोर लापरवाही का द्योतक है । जिसके लिए सिर्फ हिदायत देकर छोड़ना ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों को बढ़ावा देना माना जाएगा जो कभी भी हजारों लोगों की जान पर भारी पड़ सकता है।