मेहुल राठोड-संवाददाता

 

नई दिल्ली : देश में कोरोना वैक्सीन के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए केंद्र सरकार फाइजर और मॉर्डना जैसी फार्मा कंपनियों से वैक्सीन नहीं खरीदेगी। वैश्विक समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के मुताबिक भारत में बनी वैक्सीन देश में मेंटेनेंस के मामले में बेहतर है और सस्ती भी।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने फार्मा कंपनियों के एक और अनुरोध को खारिज कर दिया है। दरअसल, इन कंपनियों का कहना है कि अगर वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट होता है तो उन्हें कानूनी सुरक्षा दी जानी चाहिए। भारत में किसी भी कंपनी को ऐसी कोई छूट नहीं दी गई है। फाइजर और मोर्डना के टीके वर्तमान में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में विकसित किए जा रहे हैं।

एक सूत्र का कहना है कि पहले टीकों की कमी थी तब इसकी जरूरत थी। इन कंपनियों के ब्याज की लागत अधिक होगी। हमें उनकी शर्तों पर टीका क्यों लगाया जाना चाहिए? इससे पहले, भारत में फाइजर के प्रवक्ता ने कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं और देश को वैक्सीन की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं। कंपनी ने दोहराया कि महामारी के दौरान, वह वैक्सीन खरीदेगी और देशों और केंद्र सरकारों के साथ संवाद करेगी। अभी तक मोर्डना और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से कोई टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई है।

यह भी है की मोर्डना को अपने भारतीय पार्टनर सिप्ला से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत पहले ही मिल चुकी है। लेकिन वैक्सीन को अल्ट्रा कोल्ड स्टोरेज चेन की जरूरत है। इस तरह फाइजर वैक्सीन के लिए खास कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होती है। जब कि भारत के कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कोविशील्ड, वेक्सिन और स्पुतनिक जैसे टीकों को एक सामान्य फ्रीजर में रखा जा सकता है।