मेहुल राठोड-संवाददाता

 

भारत में टीकाकरण की तीव्र गति को देखते हुए अब कोरोना का महामारी का रूप लेना या बड़े पैमाने पर फैलना मुश्किल है – डॉ. गुलेरिया

देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और मंगलवार को संक्रमण के 26,000 नए मामले सामने आए और 252 लोगों की कोरोना से जान चली गई। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, कोरोना वायरस अब महामारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि जब तक भारत में सभी का टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक सावधानी बरती जानी चाहिए। सभी को भीड़ से बचने की जरूरत है।

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि,
“भारत में दर्ज मामलों की संख्या अब 25000 से 40,000 के बीच है। लोग सावधान रहें तो यह मामला धीरे-धीरे कम होगा। हालांकि कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं होगा। लेकिन भारत में टीकाकरण की तीव्र गति को देखते हुए अब कोरोना के लिए महामारी का रूप लेना या बड़े पैमाने पर फैलना मुश्किल है।“

एम्स के निदेशक गुलेरिया का कहना है कि कोरोना वायरस जल्द ही एक सामान्य फ्लू में बदल जाएगा, जैसे कि हल्की खांसी और सर्दी, क्योंकि लोगों में अब वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है। लेकिन बीमारों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए, वायरस अभी भी जीवन के लिए खतरा होगा।

टीका लगाने वालों के मन में अभी भी यह सवाल है कि क्या टीका आजीवन सुरक्षा प्रदान करेगा या फिर कुछ समय बाद फिर से बूस्टर डोज़ लेने की आवश्यकता होगी। इस सवाल के जवाब में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारत में प्राथमिकता सभी लोगों का टीकाकरण कर उन्हें दो डोज़ देना है। बच्चों को भी टीका लगवाना चाहिए। तभी बूस्टर डोज पर जोर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों में टीकाकरण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने अक्टूबर में वैक्सीन फ्रेंडली प्रोग्राम फिर से शुरू करने की बात कही है। अप्रैल में भारत सरकार ने भारतीयों को प्राथमिकता देते हुए अन्य देशों को टीके देना अस्थायी रूप से बंद कर दिया था, लेकिन एम्स के निदेशक के मुताबिक अगर दुनिया के किसी भी देश में लोगों का टीकाकरण नहीं हो पाता है तो यह हर देश को खतरे में डालता है।

डॉ. गुलेरिया का कहना है कि वायरस कहीं से भी फिर से उभर सकता है। इस दिशा में भारत दुनिया को टीके बांटकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। हालांकि कुछ समय बाद बीमारों, बुजुर्गों या कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को बूस्टर डोज़ दी जा सकती है। यह भी जरूरी नहीं है कि बूस्टर डोज को उसी टीके के साथ मिलाएं जो टीके से पहले दिया गया था। नए टीके का बूस्टर डोज भी लिया जा सकता है। हालांकि, पहले एक नीति तैयार की जाएगी।

उनका कहना है कि कुछ लोगों को बूस्टर डोज़ की आवश्यकता हो सकती है। इस बूस्टर डोज को दूसरे टीके के साथ भी लिया जा सकता है। लेकिन यह तय होगा कि सबसे पहले टीकाकरण करना जरूरी है। इसके बाद बूस्टर डोज आता है। डॉ गुलेरिया ने कहा कि दिसंबर तक सभी का टीकाकरण करने का लक्ष्य है।