संवाददाता-मेहुल राठोड

कांग्रेस में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए कौन होगा दावेदार

आने वाले राज्यसभा चुनाव में 7 सीटों के लिए कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती हैं: महाराष्ट्र में 1 सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव सातव के निधन से खाली हुई है:
दूसरी तमिलनाडु में द्रमुक पार्टी के साथ गठबंधन से मिल सकती है।

नई दिल्ली: राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस असमंजस में है। पार्टी चाहे तो भी महाराष्ट्र और तमिलनाडु में 1-1 सीट के लिए उम्मीदवारों को नामांकित नहीं कर सकती, क्योंकि दावेदारों की सूची बहुत लंबी है। एक तरफ जहां पार्टी के असंतुष्ट नेता अपना दावा पेश कर रहे हैं। ऐसे में कई युवा नेता भी उच्च सदन में जाने को तैयार हे।

कांग्रेस को आने वाले राज्यसभा चुनाव में 7 सीटों मे से 2 सीटें मिलने की संभावना है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव सातव के निधन के बाद महाराष्ट्र में 1 सीट खाली हुई है। दूसरी सीट तमिलनाडु में द्रमुक के साथ गठबंधन में मिल सकती है। सबसे ज्यादा दावेदार महाराष्ट्र सीट के लिए है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मे मुकुल वासनिक, मिलिंद देवड़ा और संजय निरुपम, अविनाश पांडे और रजनी पाटिल भी दावेदार हैं।

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर बहस के दौरान डी.एम.के. ने कांग्रेस को 1 राज्यसभा सीट देने का वादा किया था वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने द्रमुक के साथ टिकट वितरण को अंतिम रूप दिया था। द्रमुक से गुलाम नबी आजाद के रिश्ते अच्छे रहे हैं और वह खुद इस सीट के दावेदार हैं। ओर वे खुद इस सिट के दावेदार बनना चाहते है। लेकिन उनके साथ प्रवीण चक्रवर्ती भी राज्यसभा पहुंचना चाहते हैं। महाराष्ट्र में उनकी पत्नी प्रज्ञा सातव भी राजीव सातव की सीट से चुनाव लड़ रही हैं। प्रदेश कांग्रेस के कई नेता भी चाहते हैं कि प्रज्ञा सातव को उम्मीदवार बनाया जाए। तो मिलिंद देवड़ा कांग्रेस नेतृत्व को एक पुराना वादा याद दिला रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि जब मिलिंद 2019 का चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे तो पार्टी ने उनसे कहा था कि अगर वह चुनाव हार गए तो उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा। ऐसे में यूपी चुनाव को देखते हुए प्रमोद तिवारी को भी महाराष्ट्र से राज्यसभा की उम्मीद है।

तमिलनाडु से गुलाम नबी आजाद का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “एक बार आजाद के राज्यसभा पहुंचने के बाद असंतुष्ट नेताओं का समूह तितर-बितर हो जाएगा।” अगर गुटबाजी यहीं खत्म हो जाती है तो पार्टी आजाद के अनुभव का फायदा उठा सकेगी। लेकिन दिक्कत ये है कि आजाद के साथ आनंद शर्मा भी दावेदार हैं।