मेहुल राठोड-संवाददाता

इस साल 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है बैड लोन का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष के अंत तक बैड लोन का आंकड़ा 10 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है। इसका मुख्य कारण खुदरा और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को दिए गए ऋण चुकाने मे आ रही समस्या है। मंगलवार को एक अध्ययन में यह बात कही गई हे। उद्योग निकाय एसोचैम और रेटिंग कंपनी क्रिसिल के एक अध्ययन के अनुसार, खुदरा और एमएसएमई क्षेत्र में ऋण चुकाने में कठिनाइयों और कुछ परिसंपत्तियों के पुनर्गठन के कारण मार्च 2022 तक एन.पी.ए. बढ़कर 8.5-9 प्रतिशत हो सकता है। स्टडी के मुताबिक मार्च 2022 तक बैंकों की ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (जी.एन.पी.ए.) 10 लाख करोड़ रुपये से ऊपर जा सकती है।

इसमें कहा गया है कि असेट क्वालिटी पर मौजूदा दबाव कुछ साल पहले देखे गए दबाव से अलग है। एन.पी.ए. में वृद्धि मुख्य रूप से उस समय बड़े खातों से ऋण की देनदारी में चूक के कारण हुई थी।
स्टडी के मुताबिक, इस बार छोटे खातों, खासकर एम.एस.एम.ई. और रिटेल कैटेगरी के खातों को कर्ज चुकाने में दिक्कत हो सकती है। हालांकि, इसने यह भी कहा कि एम.एस.एम.ई. और छोटे ऋणदाताओं के लिए घोषित ऋण पुनर्गठन योजना से एन.पी.ए. में होने वाली तेज वृद्धि को रोकना चाहिए।
साथ ही इस प्रकार की संपत्ति में उन निवेशकों के लिए निवेश के अवसर हैं जो तनावपूर्ण संपत्ति में निवेश करना चाहते हैं।
रिजर्व बैंक ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बैंकों का कुल गैर-निष्पादित संपत्ति (जी.एन.पी.ए.) अनुपात मार्च 2022 तक बढ़कर 9.8-11.22 प्रतिशत हो सकता है। मार्च 2021 के अंत में बैंकिंग के लिए कुल एन.पी.ए. अनुपात 7.48 फीसदी था।
किसी भी ऋण को एन.पी.ए. के रूप में वर्गीकृत तब किया जाता है जब उसका अनुपात बिगड़ जाता है जब इसे 90 दिनों से अधिक समय तक चुकाया नहीं जाता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि कोरोना के प्रभाव से सभी बैंकों का एनपीए अनुपात मार्च 2022 तक बढ़कर 9.8 फीसदी हो सकता है। अगर मामला और गंभीर हुआ तो यह पहले 10.36 फीसदी और बाद में 11.22 फीसदी तक जा सकता है।