मात्र कुछ सौ में पाइए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट

प्रदेश की सबसे बड़ी पैथोलॉजी और लैब होने का दावा करने वाली पालीवाल & डॉ०. लाल पैथलैब का काला सच

न सैम्पल, न इंतजार बस पैसे दीजिये और निगेटिव रिपोर्ट तैयार,

कोरोना काल में फर्जी रिपोर्टों से पालीवाल काट रहे माल

सच्चाई सामने आने पर दिया साजिश होने बहाना

खुफिया कैमरे में कैद हुआ पैसे लेकर कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देने का कृत्य

सच्चाई जानकार खुद कानपुर सीएमओ भी दंग।

क्या ऐसे खत्म होगा देश से कोरोना?

कोरोना – पिछले एक या सवा साल से यह शब्द पूरे देश के लिए एक श्राप बना हुआ है। श्राप उनके लिए जो न सिर्फ इससे जूझे हैं बल्कि उनके लिए भी जिन्होंने बहुत से अपनों को इस महामारी में हो दिया है पर शायद कोरोना नाम की यह बीमारी हर किसी के लिए नुकसानदायक नहीं रही। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने इस महामारी के दौर को भी अपनी काली कमाई का जरिया बना लिया है। आज हम ऐसे ही एक संस्थान ,उसके कर्मचारियों और उसके मालिक का असर चेहरा आपको दिखाएंगे, जिसे देखकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या कुछ सौ रुपये के लिए कईयों को महामारी का भागीदार बनाना अपराध है या महापाप ?

1 – यह है कानपुर के पालीवाल & डॉ. लाल पैथलैब की हैं जहाँ से काफी समय से पैसे लेकर कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट बनाए जाने की सूचनाएं मिल रही थीं जिसे पुख्ता करने के लिए हमने भी अपनी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट बनवाने प्रदेश की सबसे बड़ी पैथलैब कही जाने वाली पालीवाल & डॉ. लाल पैथलैब में स्टिंग किया। तश्वीरों में दिख रहा यह व्यक्ति इसी संस्थान का कर्मचारी है जो एक दूसरे व्यक्ति से साफ कहता दिख रहा है कि उसे केदारनाथ की यात्रा के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट मिल जाएगी वो भी बिना कोई सैम्पल दिए। इस फर्जी निगेटिव रिपोर्ट के लिए हमारे सहकर्मी ने पैथलैब के कर्मचारी को मात्र 1200₹ और आधार की फोटोकॉपी दी और फिर क्या बस अगले ही दिन फर्जी कोरोना मुक्त रिपोर्ट हाथ में आ गई।

2 – इस पूरे मामले को जब सबूत के साथ कंपिर के CMO के सामने रखा गया और सवाल कोई गए तो खुद CMO भी चौंक गए और साफ किया कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी अगर किसीके द्वारा ऐसा किया गया है तो वो अपराध नहीं बल्कि अमानवीय है जिसके लिए कठोरतम कार्यवाई सुनिश्चित की जाएगी।

3 – चूंकि बात उस पैथलैब की है जो प्रदेश की सबसे बड़ी लैब होने का दावा करती है तो हमने पालीवाल & डॉ. लाल पैथलैब के मालिक उमेश पालीवाल से भी बात की। उमेश पालीवाल ने सारी हकीकत जानने के बावजूद पूरे मामले को किसी राजनेता की तरह पत्रकारों पर ही विरोधियों से मिलकर साजिश रचने का आरोप लगाने लगे और कथित जाँच रिपोर्ट के कागजात दिखाने सुरुकर दिए पर मामला गंभीर होता देख अपने कर्मचारियों की जांच कर खुद ही कार्यवाई की बिन बजाने लगे।

पर अब देखना यह होगा कि फर्जी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देने वाली पैथोलॉजी के खिलाफ सरकार और सरकारी मशीनरी क्या कदम उठाती है या फिर पालीवाल & डॉ. लाल पैथलैब के मालिक उमेश पालीवाल का कद सच मे इतना बड़ा है जिसके आगे सरकारी आदेश और कार्रवाइयां बौनी पैड जाएंगी ?