उत्तर प्रदेश के अमेठी में जायस कस्बे में कोरोना महामारी के दौरान लगभग दो सौ लोगों के आसपास लोगों की मौते हो चुकी हैं। लोग डरे हुए और भयभीत हैं, इसके बाद भी जिला प्रशासन आंखे मूंदे हुए बैठा है।
कस्बे के लोगों का आरोप है इतने लोगों की मौतों के बाद स्थित ये है कि यहां हम लोगों को दवा नही मिली रही है। जांच के लिए अबतक कोई आया ही नही। सेनेटाइजिंग का काम नाम मात्र को है। क्षेत्र में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक महिला अस्पताल है लेकिन ये भी नाम ही को है। यहां डाक्टर हैं ही नही तो इलाज कैसे हो। महिला अस्पताल में वैक्सीनेशन का बोर्ड लगा हुआ है लेकिन स्टाफ गायब है। ईद के मौके पर कस्बे में पहुंचे डीएम से लोगों ने डाक्टर की तैनाती की मांग किया लेकिन अभी तक नही आए।

सभासद सादिक मेंहदी बताते हैं कस्बे के हालात के बारे में हमने उनसे मालूम किया जो स्थित उन्होंने बताया वो काफी भयावह है। वो बताते हैं कि, हमारे यहां पीएचसी पर डाक्टर नही हैं। एक डाक्टर थे उन्हें भी यहां से हटा दिया गया। सादिक के अनुसार पूरे कस्बे में अबतक 200-250 मौते हुई हैं। ये तो कहिए जनता पूरी तरह मेडिकल स्टोरों पर निर्भर है। उन्होंने ये भी बताया कि कस्बो में अबतक लोगों की कोरोना जांच नही हो पाई है जो लोग बाहर से आते हैं वो अस्पतालों में जाकर कराते हैं।

सभासद हासिम अंसारी भी यही बताते हैं कि अब तक दो-ढ़ाई सौ मौते हुई हैं। उनका कहना है कि न स्वास्थ्य महकमे की तरफ से कुछ खास किया गया न नगरपालिका की ओर सेनेटाइजेशन कराया भी जा रहा तो बस दिखाने के लिए कराया जा रहा है। डाक्टर का आलम ये है कि एक दो महीने से डाक्टर हैं ही नही।

मोहम्मद साकिब सभासद कहते हैं कि जायस की बड़ी आबादी है, यहां दो-ढ़ाई सौ मौते कोरोना काल में अबतक हुई हैं। लेकिन स्वास्थ्य महकमे की तरफ से, नगरपालिका की तरफ से प्रशासन की तरफ से सुविधाएं कुछ नही मिली। एक हास्पिटल है तो वहां एक डाक्टर मौजूद नही है जो लोगों को देख सके। छोटे-छोटे मेडिकल स्टोर पर जाकर लोग अपनी जान बचा रहे हैं। मेडिकल स्टोर पर लोग लाइन लगाकर बुखार, खांसी और जुकाम की दवाएं ले रहे हैं।

कांग्रेस नेता हाजी इशरत हुसैन से हमने बातचीत किया और कोरोना में अबतक आपके यहां कितनी मौते हुई ये सवाल किया। जवाब मिला मौते गिनी तो नही, लेकिन पिछले माह में मैंने अपने जीवन में इतनी मौते नही देखी। किसी दिन सात मिट्टी देता था, किसी दिन आठ मिट्टी देता था। वो बताते हैं कि एक दिन मैंने अपना मोबाइल खोला तो 6 जगह ओम शांति ओम लिखा, ओम नमन लिखा और कमसे कम दस-ग्यारह जगह इन्ना लिल्लाह व इन्ना इलैहे राजेऊन (हम अल्लाह के लिए है और उसी कई तरफ पलटकर जाना है) लिखा। उस दिन मेरे अड़ोस-पड़ोस मिलाकर 21 मौते थीं। उन्होंने कहा की इसके बाद हम लोगों ने क्या किया वो बता सकते हैं लेकिन स्वास्थ्य महकमे ने क्या किया नही बता सकते। नगरपालिका का सेनेटाइ जेशन ऐसा की एक लीटर में एक बूंद लिक्विड डालकर छिड़काव हुआ।

पीएचसी के फार्मासिस्ट माता प्रसाद चौधरी बताते हैं कि हमारे यहां जो कोविड की जांच होती थी, डाक्टर करते थे उनको रेलवे स्टेशन पर, बस स्टेशन पर जांच के लिए लगा दिया गया जो बाहर से लोग आ रहे हैं उनके लिऐ। अब डाक्टर के संबंध में उच्च अधिकारियों से बात करें।

वहीं पूरे मामले पर अमेठी के सीएमओ आशुतोष दुबे का कहना है कि वो कस्बे वालों के आरोप से सहमत नही हैं। उनका कहना है कि जायस पीएचसी पर डाक्टर कैलाश कुमार तैनात हैं। वो वहीं मुख्यालय पर ही रहते हैं। प्रतिदिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी चल रही है और वो बैठते हैं। हां डाक्टरों की कमी है वहां पर महिला डाक्टर वहां तीन दिन बैठती हैं।