लखनऊ पुलिस द्वारा पत्रकारों का उत्पीड़न और उनके साथ मारपीट करना आम बात हो गई है या इसे इस तरह कहा जाए कि पुलिस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर हमला करने में निरंकुश हो गई है, जहां जब देखा तब पत्रकार और कैमरा मैंन को पीट दिया जाये और उनसे जबरन उनके कैमरे से खबरों को डिलीट करवा दिया जाए ऐसा ही प्रकरण लखनऊ जनपद के विकासखंड सरोजनी नगर अंतर्गत ग्राम पंचायत बनी के पंचायत चुनाव में सामने आया है, वहां पर निर्धारित समय 6:00 बजे के बाद वोटिंग हो रही थी जब वहां पर अमन लेखनी समाचार पत्र व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रिपोर्टर कवरेज करने पहुंचे तो पुलिस ने पत्रकारों व कैमरामैन को तो पीटा ही उसके साथ ही ग्रामीणों पर भी लाठी चार्ज करके भगा दिया ।
प्रभारी निरीक्षक बंथरा अभद्रता करते हुए अमन लेखनी के ब्यूरो प्रमुख सरफराज खान को गाड़ी में बैठा कर थाने ले गए और वहां पर उनसे शादे पेपरों में हस्ताक्षर करा कर कहा कि आप जा सकते हो ज्यादा पत्रकारिता की तो मुकदमा लिख करके जेल भेज दूंगा, प्रभारी नीचे बंथरा जितेंद्र प्रताप सिंह तथा उनकी पुलिस ने पत्रकारों पर यह भी आरोप लगाया कहा कि पत्रकारों में मेरी गाड़ी की चाबी निकाल ली है जबकि वास्तव में इनके द्वारा झूठा आरोप लगाया गया था और फिर वही गाड़ी और वही ड्राइवर गाड़ी लेकर के बंथरा थाने गया केवल पत्रकारों पर रोब जमाने के लिए उनको दोष देने के लिए एक फर्जी मनगढ़ंत कहानी रची गई जिससे पत्रकारों का मनोबल टुटे और वह पुलिस की कारगुजारी का पर्दाफाश ना कर सके ।
वास्तव में जहां योगी योगी सरकार पत्रकारों को सुरक्षा देने की बात कर रही है वहीं पर लखनऊ पुलिस निरंकुश होकर पत्रकारों पर हमले कर रही है वास्तविकता यह है इस तरह के हालात तो इमरजेंसी के दौरान भी नहीं रहे, पत्रकारों की सुरक्षा को सरकारों ने सर्वोपरि माना लेकिन वर्तमान समय में योगी की पुलिस निरंकुश होकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर चोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, इस संदर्भ में अमन लेखनी के प्रधान संपादक राजकुमार सिंह चौहान ने पुलिस कमिश्नर लखनऊ को फोन करके घटना की जानकारी दी, पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने कहा कि मौके पर डीसीपी सोमेंद्र वर्मा को भेज रहा हूं, वह मौके पर आए और पत्रकारों को वह भी अपने लहजे में हिदायत देकर चले गए ना किसी से कोई जानकारी की और ना ही निरंकुश पुलिस को रोकने का ही प्रयास किया, उनके जाने के बाद थाना प्रभारी बंथरा ने गांव के लोगों पर लाठियां बरसाई, पत्रकारों के साथ बदसलूकी की, जिससे पत्रकारों में असंतोष व्याप्त है, वास्तव में जब तक सरकार पत्रकारों को पुलिस से सुरक्षा नहीं प्रदान करेगी, तब तक यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सुरक्षित नहीं रह सकता है, यह घटना केवल पत्रकार के साथ बदसलूकी नहीं है बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर पुलिस का हमला है, बंथरा थाना प्रभारी व उनकी पुलिस ने जिस तरीके से पत्रकारों के साथ अभद्रता की, गालियां दी पत्रकारिता को गालियां दी वह शर्मसार कर देने वाला है, ऐसे में जब तक ऐसे मनबढ़ पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी तब तक लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कुचला जाता रहेगा ।
भारतीय संविधान में जहां पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है वही पुलिस प्रशासन मीडिया को अपना दुश्मन समझते हुए उनके साथ अभद्रता, मारपीट और फर्जी मुकदमों में फंसा कर जेल भेजा जाना उनकी प्रवृत्ति में शामिल हो गया है ।
पत्रकार संगठनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि ऐसे पुलिस कर्मियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करके उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए जिससे भविष्य में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपना कार्य निष्पक्षता और निर्भीकता के साथ कर सके ।