सरकार से तनख्वाह लेने वाले ये सरकारी मुलाजिन मरीजो का इलाज करने की बजाय अपने कक्ष में बैठ कर गप्पे हॉक रहे है। ओर मरीज तड़प रहे है… न मरीजो का उपचार सही ढंग स्व हो पा रहा है और न ही उनकी देखभाल… कोई उपचार की बात करता है तो उनसे अभद्रता की जा रही है… आज ही कि बात कर ले तो कल एक मरीज को भर्ती किया गया… जिसकी तबियत ज्यादा बिगड़ी हुई थी… कल एक इंजेक्शन लगाने के बाद एक गोली तक नही दी… आज सुबह जो डोज देना था तो वो भी अभी तक नही दिया गया.. जिसके बाद जब परिजनों में ड्यूटी डॉक्टर दीपिका से संपर्क किया तो उन्होंने परिजनों से अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया परिजनों ने कहा मरीज की हालत खराब है फिर भी न तो डॉक्टर जांच करने पहुँची ओर न ही स्टाफ़ सभी अपने कक्ष में गप्पे हाँकते रहे कर किसी ने उस मरीज की सुध तक नही ली.. गंभीर रूप से पीड़ित मरीज को देखभाल नही की जा रही है तो अन्य मरीजो की क्या की जा रही है… कुछ परिजनों का कहना है कई बार पीड़ित स्टाफ को अपनी समस्या बताता है तो वो मरीजो से अभद्रता करते है या फिर कह देते है इलाज करवाना हो तो करवाओ नही तो यहाँ से चले जाओ तुमने हमको खरीद नही लिया है… सरकार से निर्धारित वेतन लेने वाले भी इस तरह की बात करेंगे तो फिर दुसरो से क्या उम्मीद करेंगे। जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देते हुवे मरीजो की समस्या जननी चाहिए ताकि उनके साथ किस तरह का बर्ताव हो रहा है उन्हें भी तो पता चले। गत वर्ष भी यहाँ संविदा पर लगाये गए डॉक्टर इलाज करने की बजाय यहाँ प्रेम की बंसी बजा रहे थे।