वृंदावन रमणरेती मार्ग स्थित श्री राम मंदिर में बृजवासी जगतगुरु परिषद की बैठक बृजाचार्य बाबा कर्मयोगी की अध्यक्षता में संपन्न हुई , जिसमें यमुना शुद्धिकरण बृज चौरासी कोस के वन उपवन , कुंड , प्राचीन धरोहरों , मंदिरों व मठों एवं ब्रज से जोड़ने वाले प्रमुख मार्गो का जीर्णोद्धार , यातायात आदि अनेकों समस्याओं पर गंभीर चिंतन परिषद में हुआ ।
आज के मुख्य अतिथि शास्त्रार्थ महारथी पंडित पुरुषोत्तम शरण शास्त्री जी ने कहा कि भगवान विष्णु रामकृष्ण मैं कोई अंतर नहीं है, वर्तमान में यमुना की जो दुर्दशा है गंदे नाले यमुना में खुलेआम गिर रहे हैं उनको शीघ्र रोका जाए , और हथिनी कुंड से वृंदावन मथुरा तक पाइप के माध्यम से यमुना जल लाया जाए ,
अध्यक्षता करते हुए बृजाचार्य कर्मयोगी जी महाराज ने कहा ब्रज में ब्रज रज समाप्त होती जा रही है भगवान श्री राधा कृष्ण के लीला स्मृति चिन्ह दिनों दिन नष्ट होते जा रहे हैं इस ओर किसी का ध्यान नहीं है परिषद शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कर उनको संरक्षण एवं सुरक्षित करने का प्रयास करेगी ,
बृजवासी जगतगुरु श्री आनंद कृष्ण जी महाराज ने कहा कि बरसाना , बलदेव , वृंदावन , गोवर्धन , मथुरा आदि क्षेत्रों को तीर्थ स्थल घोषित होने के बाद भी मादक पदार्थों एवं अखाद्यो की बिक्री हो रही है , इसे शीघ्र रोका जाए ।
बृजवासी जगतगुरु श्री कृष्ण कन्हैया पद रेणु जी ने कहा कि सनातन धर्म के प्रति चाहे जो मनगढ़ंत अनर्गल बयानबाजी करके अवमानना करता है , ऐसे लोगों को हम समस्त सनातन धर्मावलंबियों को का विरोध कर उनको सबक सिखाना होगा , अभी कुछ दिनों पहले वासुदेव जग्गी यशोदा और भगवान कृष्ण के लिए जो शब्द कहे हैं वह बड़े निंदनीय है ,
परिषद कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है ,
ब्रजभूमि कल्याण परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने जी ने कहा कि धार्मिक स्थलों मंदिर मठों पर कोई भी कर निर्धारित न किया जाए उनको कर से मुक्त रखा जाए ,
नगर निगम द्वारा चाहे जब रोड बना दिया जाता है , चाहे जब खोद दिया जाता है , इससे आम नागरिकों को बहुत समस्या होती है बैठक में उपस्थित जनों में ,
पद
पं. विष्णु बृजवासी
पं. बिहारी लाल शास्त्री
ईश्वर चंद रावत , राकेश शास्त्री , कृष्णा त्रिपाठी , श्री हरि ठाकुर जी , अशोक भारद्वाज जी हरिशंकर पचौरी जी ,सुधीर कुमार , श्याम बृजवासी , प्रदीप गोस्वामी , रमेश चंद्र गौतम आदि अनेकों लोग उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ जी ने किया तथा धन्यवाद हरि शंकर पुजारी जी ने दिया…।