मथुरा रस रसिया के रंगोत्सव में आनंद रस का अद्भुत और रंग दिखाई दे रहा है बांके बिहारी लाल के दरबार में हर कोई मस्ती के रस में सराबोर होने को बेताब है चहुओर रंग अबीर गुलाल की सप्तरंगी छटा का मनोहारी दृश्य दिखाई दे रहा है स्वामी हरिदास जू के लाडले बांके बिहारी लाल अपने भक्तो के साथ होली खेल रहे है धवल श्रेत वस्त्र धारण कर ठाकुर बांके बिहारी लाल की श्रृंगार आरती के बाद जैसे ही पट खुले मंदिर परिसर रास रचिया के जयजय कार से अनुगुजित हो उठा अद्भुत नजारा सेवायत गोस्वामी स्वर्ण रजत निर्मित पिचकारियो से सोने चांदी के पात्रो में भरे टेसू के फूलों से निर्मित प्रकतिक रंगो की बोछार भक्तो पर डाल रहे है भक्त भी अपनी सुदबुध खो कर रंग प्रसादी में तनमन भिगोने को सराबोर है सम्पूर्ण मंदिर परिसर में रंग बिरंगे अबीर गुलाल की बंदरी से छा रही है एक तरफ सेवायत गोस्वामी जन के द्वारा होली के रसियाओ का पारंपरिक गायन और दूसरी तरफ बांके बिहारी लाल के जय कारे वातावरण में मस्ती का रस घोर रहे थे जिसके रंग रस में हर कोई गोते लगाने को लालियत था
रंग प्रसादी का एक कण पाने को भक्तो में होड़ सी मची थी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी से सुरु हुए आनंद रस वर्षन का यह क्रम फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक अनवरत रूप से जारी रहेगा।