अनजाना डर, अनहोनी की आशंका और अनिश्चितता का माहौल! ठीक एक बरस पहले कुछ ऐसी ही स्थिति पैदा की थी कोरोना के खौफ ने। हर तरफ सभी हैरान, परेशान थे। हर जुबान पर एक ही सवाल था, क्या होगा? लखनऊ भी इस स्थिति को जी रहा था। विपरीत स्थितियां सामने थीं, लेकिन लोगों ने मैदान नहीं छोड़ा। मुकाबला किया। कोई एक टूटा तो दूसरे ने सहारा दिया। अपनी चिंता तो शहर के लोगों ने की, लेकिन दूसरे की मदद को भी हाथ बढ़ाए। नवाबी शहर का वह जज्बा आज भी काबिले तारीफ है।
शुरुआत हुई थी रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू से। प्रधानमंत्री का आह्वान था। एकजुटता दिखाने की अपील थी। कहा गया कि कोरोना संक्रमण को तोड़ना है तो घरों में कैद हो जाइए। लोगों ने आह्वान को चुनौती के रूप में स्वीकार किया।
याद करिए वह दिन, कैसे जनता ने खुद कर्फ्यू लगाया था। गुलजार रहने वाले लखनऊ में हर तरफ सन्नाटा पसरा था। शाम-ए-अवध की पहचान हजरतगंज सूना हो गया। अमीनाबाद, चौक की कभी न सोने वाली गलियां मौन हो गईं। ट्रांसगोमती में गोमतीनगर, इंदिरानगर, अलीगंज, जानकीपुरम और डालीगंज का इलाका हो या फिर सिस गोमती में आलमबाग, कैंट, कृष्णानगर और आशियाना का इलाका, सब जगह सड़कें सूनी हो गईं।
हमेशा जागने वाले चारबाग को भी पहली बार लोगों ने सोते देखा था। लोगों ने दिखा दिया था कि हम जो ठान लेते हैं, वह करके दिखाते हैं। यही नहीं शहर के सन्नाटे को शाम को घंटा-घड़ियाल बजाकर तोड़ने में भी कोई पीछे नहीं रहा। महामारी के खिलाफ एकजुट शहर के पढ़े-लिखे आधुनिक परिवेश में जी रहे तबके ने भी ओमेक्स हाइट्स जैसे आधुनिक अपार्टमेंट की बालकनी में खड़े होकर शहर को घंटा, घड़ियाल व शंखध्वनि से गुंजायमान कर दिया।
लॉकडाउन में भी नहीं लड़खड़ाए
जनता कर्फ्यू के दिन तक लोगों को ये पता नहीं था कि वह लंबे लॉकडाउन में भी जा सकते हैं। उन्हें कुछ ठीक न चलने का आभास तो था, लेकिन सटीक अनुमान नहीं। हुआ भी वही। जनता कर्फ्यू के बाद अचानक पहले चरण के लॉकडाउन की घोषणा हो गई। अचानक हड़कंप सा मचा। शाम का समय था। पुराने लखनऊ से लेकर नए लखनऊ तक जरूरी सामान की खरीदारी को भीड़ उमड़ पड़ी। आपाधापी की स्थिति रही। फिर लॉकडाउन के साथ सब कुछ थम गया।

चौराहे सील हो गए और सड़क पर 24 घंटे कोई नजर आया तो खाकी वर्दीधारी। शहर ने इस मौके पर भी सब्र और संयम का परिचय देकर सहयोग का रवैया अपनाया। पुलिस को जोर-जबरदस्ती नहीं करनी पड़ी। कई ऐसे चौराहे थे, जहां अपनी फिक्र किए बगैर ड्यूटी पर तैनात जवानों को स्थानीय लोगों ने चाय, नाश्ता पहुंचाया। तो कोरोना योद्धा भी हर मोर्चे पर डटे रहे। डॉक्टर हों, आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी, सभी ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। बढ़ते लॉकडाउन के चलते जब दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों से लोगों ने घर वापसी की, दैनिक वेतन भोगियों को खाने का संकट हुआ, तो पूरा शहर मदद को खड़ा दिखा दिया।

जानें, कब क्या हुआ

23 फरवरी 2020 : केजीएमयू में 72 सैंपल की जांच के साथ स्टेट लैब शुरू हुई। बाद में इसकी क्षमता प्रतिदिन सात हजार सैंपल जांच की हुई। केजीएमयू ही मरीजों के इलाज का पहला अस्पताल भी बना। बाद में एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान को भी कोविड लेवल-थ्री सुविधायुक्त बनाया गया।

11 मार्च : राजधानी में कनाडा से लौटीं गोमतीनगर निवासी महिला डॉक्टर पॉजिटिव मिलीं। उन्हें केजीएमयू में भर्ती किया गया। बाद में उनका बेटा और सास-ससुर सहित कई रिश्तेदार भी पॉजिटिव पाए गए।
18 मार्च : केजीएमयू के रेजिडेंट डॉक्टर तौसीफ खान पॉजिटिव मिले। वह कनाडा से लौटने वाली महिला डॉक्टर के इलाज में लगी टीम के सदस्य थे। बाद में रेजिडेंट डॉक्टर के घर आए उनके रिश्तेदार भी पॉजिटिव मिले।
20 मार्च : बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। इससे राजधानी में हड़कंप मच गया। कनिका कई वीवीआईपी पार्टी में गई थीं। उनके संपर्क में करीब एक हजार से ज्यादा लोग आए थे। संयोग से सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव पाई गई।
22 मार्च : पूरे देश में जनता कर्फ्यू का एलान।
25 मार्च : पूरे प्रदेश में लॉकडाउन की घोषणा।
28 मार्च : एसजीपीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर को राजधानी कोविड हॉस्पिटल बनाया गया। यहां 80 बेड आईसीयू सहित 250 बेड तैयार किए गए।
15 अप्रैल : राजधानी में कोविड से पहली मौत। नजीराबाद निवासी 64 साल के वृद्ध की मौत के बाद पूरे इलाके को सील किया गया।
25 अप्रैल : प्रदेश में प्लाज्मा थेरेपी की मंजूरी। केजीएमयू में रेजिडेंट डॉ. तौसीफ खान और उमाशंकर ने प्लाज्मा दान किया। अगले दिन केजीएमयू में भर्ती उरई के डॉक्टर को प्लाज्मा थेरेपी दी गई। हालांकि उन्हें बचाया नहीं जा सका।
8 मई : केजीएमयू ने जांच में 20 हजार सैंपल का ग्राफ पार किया।
1 जून : एसजीपीजीआई की मॉलीक्युलर मेडिसिन और बायोटेक्नोलॉजी की टीम ने रैपिड आरएनए बेस्ड टेस्ट शुरू किया। यह कोविड संक्रमण की पहचान कर सकता है।
 24 जून : राजधानी में एंटीजन टेस्ट की शुरुआत हुई।
27 जून : राजधानी में पॉजिटिव मरीजों की संख्या एक हजार पार हुई।
1 जुलाई : डोर टू डोर सर्वे शुरू हुआ।
17 जुलाई : पांच प्राइवेट हास्पिटल भी कोविड मरीजों के इलाज के लिए स्वीकृत किए गए।
2 अगस्त : राजधानी में मरने वालों का आंकड़ा 100 से पार हुआ। 5 अगस्त : राजधानी में पॉजिटिव मरीजों की संख्या एक हजार से अधिक हुई।
9 सितंबर : मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए केजीएमयू के लिंब सेंटर को कोविड हॉस्पिटल बनाया गया। यहां 320 एचडीयू, आईसीयू सहित 500 बेड तैयार किए गए।
18 सितंबर : राजधानी में 1244 पॉजिटिव मरीज मिले। यह एक दिन के सर्वाधिक मरीज रहे।
27 सितंबर : केजीएमयू ने पांच लाख जांच का आंकड़ा पार किया। 19 अक्तूबर:  केजीएमयू ने सीमित संख्या में ओपीडी शुरू हुई। 1 दिसंबर : कोविड से मरने वालों की संख्या एक हजार हुई।
11 दिसंबर : कोविड मरीजों की संख्या 75 हजार के पार हुई।
16 जनवरी 2021 : कोविड वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हुआ। 4 फरवरी 2021 : केजीएमयू, लोहिया, एसजीपीजीआई और कमांड हॉस्पिटल को छोड़ अन्य अस्पतालों को नॉन कोविड घोषित किया गया।
17 फरवरी 2021 : कोविड मरीजों की संख्या दहाई के आंकडे़ से कम हुई।
18 फरवरी 2021 : सीडीआरआई ने एक रियजेंट विकसित किया, जो आरटी पीसीआर टेस्ट के खर्च को कम करने में सहायक है।
1 मार्च 2021 : तीसरे फेज का टीकाकरण शुरू। इसमें 60 साल से अधिक उम्र और बीमारी से ग्रसित 45 साल से अधिक उम्र वालों को शामिल किया गया है।

लखनऊ , उत्तर प्रदेश से ऋषि राज की रिपोर्ट
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