गायत्री मंत्र पढ़ने से महिलाओं को रोकने वालों पर कानूनी कार्यवाही हो-स्वामी आर्यवेश
देहरादून। वैदिक साधन आश्रम तपोवन का पंच दिवसीय ग्रीष्मोत्सव, 75वां स्थापना दिवस एवं संस्थापक बावा गुरमुख सिंह का स्मृति दिवस योग,यज्ञ,भजन एवं प्रवचन के द्वारा हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। समापन सत्र में सैकड़ों ऋषिभक्तों की उपस्थिति में प्रातः आश्रम की भव्य एवं दिव्य यज्ञशाला में यज्ञ करके आरम्भ किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा आर्यजगत् के विख्यात् विद्वान् आचार्य पं. विष्णु मित्र वेदार्थी थे।यज्ञ में मंत्रोच्चार देहरादून स्थित प्रसिद्ध गुरुकुल पौंधा के ब्रह्मचारियों द्वारा किया गया। मुख्य यज्ञमान सर्वश्री विजय कुमार आर्य,केशव आर्य,विनीश आहूजा रहे। यज्ञ के ब्रह्मा पं. विष्णु मित्र वेदार्थी ने अपने उपदेश वचनों से यज्ञकर्ताओं एवं श्रोताओं को उपकृत किया उन्होंने आजीवन यज्ञों के लिए संकल्पित हुए यज्ञमानो को यज्ञोपवीत धारण कराया और पंच यज्ञों को करने की प्रेरणा दी। मंच का कुशल संचालन कर रहे वैदिक विद्वान पं. शैलेश मुनि सत्यार्थी ने भी इसकी प्रशंसा की। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पण्डित कुलदीप आर्य,रमेश चन्द स्नेही एवं मीनाक्षी पंवार आदि के ईश भक्ति,देश भक्ति के गीतों को सुनकर श्रोता झूम उठे। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने कहा हमें बुद्धि के लिए प्रभु से गायत्री मंत्र द्वारा प्रार्थना करनी चाहिए।जिन लोगों की बुद्धि सात्विक होती है वह निरंतर ऊंचाइयों की और बढ़ते हैं। पूरे दिन के किए कार्यों को देखें कुछ गलत हुआ हो तो प्रार्थना करें गलत मार्ग से हटकर सन्मार्ग पर चलें। निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ें।गायत्री मंत्र से शक्ति,सही रास्ते पर ले जाने वाली बुद्धि मिलेगी। श्रद्धा से प्रार्थना करने से रास्ता साफ प्रशस्त होगा। जो लोग गायत्री मंत्र पढ़ने से महिलाओं को रोकते हैं उनपर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली अपनाने पर बल दिया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सोमदेव शतांशु ने कहा कि स्थापना दिवसपर पूर्व कार्यों को देखकर भावी योजनाएं बनाएंगे तो जीवन के कष्ट, समस्याएं दूर होंगी। प्रभु भक्ति से आनंद की प्राप्ति होगी।सम्पूर्ण ज्ञान विज्ञान की शिक्षा से ही विद्यार्थी का पूर्ण विकास सम्भव है। गुरुकुल से विद्यार्जन कर निकले विद्यार्थी नोकरी पाने वाले नहीं अपितु नौकरी के अवसर प्रदान करने वाले हों। विधायक उमेश शर्मा ने स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जयंती,आश्रम के 75 वें स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हम सबको वैदिक धर्म और आर्य समाज के कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए। आर्ष कन्या गुरुकुल द्रोण स्थली की डा अन्नपूर्णा आचार्या ने कहा कि शुद्धज्ञान,कर्म,उपासना से सुख शांति प्राप्त होती है।अतः आश्रम में बह रही ज्ञान गंगा में डुबकी लगाइए। इसी गुरुकुल की ब्रह्मचारणीयों द्वारा दयानंद महिमा गीत की प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। स्वामी उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि वेदों की और लोटो।चारों वर्णों को शरीर में घटाकर बताया। महात्मा चित्तेश्वरानन्द ने कहा कि जीवात्मा का शरीर से संयोग जन्म और वियोग मृत्यु है,आत्मा अजर और अमर है। समारोह में सर्वश्री स्वामी योगेश्वरा नन्द,आर्यमुनि,देव शर्मा विद्यालंकार, सोमदेव वेदालंकर, आचार्य आशीष दर्शनाचार्य, सत्यवृत्त एवं इंदू बाला आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री दीपाली कुकरेजा,लोकश्री अग्निहोत्री,दिव्यांशु अग्निहोत्री, देवदत्त बाली,सविता ढंड,अरुण ढंड,सुधीर कुमार माटा,श्याम आर्य,प्रदीप दत्ता विनीश आहूजा, भुवनेश कपूर,सुशील भाटिया, मनीष बावा,विक्रम बावा,अरुण आर्य,प्रवीण आर्य,डा प्रमोद सक्सेना,सत्य पाल आर्य,सुरेश आर्य आदि मौजूद रहे।
उत्तराखंड, ब्यूरो रिपोर्ट
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