त्रैमासिक पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर संपन्न

गाजियाबाद| उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित त्रैमासिक निःशुल्क पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर का समापन स्वामी सूर्यवेश जी के अध्यक्षता में शंभू दयाल दयानन्द वैदिक सन्यास आश्रम, दयानन्द नगर में संपन्न हुआ।ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ त्रैमासिक पुरोहित प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से प्रशिक्षण देकर सुयोग्य पुरोहित तैयार करता है।जिससे समाज में धार्मिक कार्य पूर्ण धार्मिक रीति- रिवाजों के साथ संपन्न हो सकें।संस्कृत संस्थान अनेक जनपदों में त्रैमासिक शिविर अपने प्रशिक्षकों द्वारा संपन्न कराता है।इसी क्रम में गाजियाबाद के शम्भू दयाल दयानंद वैदिक सन्यास आश्रम में चल रहे प्रशिक्षण 2023- 24 का शुक्रवार को समापन हो गया।जिसमें सभी प्रशिक्षणार्थी आश्रम के ब्रह्मचारी आश्रम परिवार की उपस्थिति रही।ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान प्रदेश में अपने प्रशिक्षकों के माध्यम से संस्कृत संभाषण,योग प्रशिक्षण, ज्योतिष -वास्तु प्रशिक्षण आदि का प्रशिक्षण अपने प्रशिक्षकों द्वारा संचालित करता है।जिससे हमारे प्राचीन धरोहर परंपराएं जन जन तक प्रसारित हो सकें तथा उनकी रक्षा हो सके।उक्त कार्य क्रम का संचालन केन्द्र गाजियाबाद के प्रशिक्षक डॉ अग्निदेव शास्त्री ने किया।विशेष आमंत्रित स्वदेशी आयुर्वेद के निदेशक डा आरके आर्य ने बताया कि भारतीय राजतंत्र में तो पुरोहित को सचिव,वैद्य,गुरु सभी कुछ माना गया है राज्य में युद्ध, बीमारी,अकाल आदि किसी संकट में राजपुरोहित का परामर्श जहां दिशा निर्देशक रहा है वहीं शांति की स्थिति में राज्य के विस्तार एवं समृद्धि के लिए भी उसकी सदैव निर्णायक भूमिका रही है।सामाजिक पर्वों तथा विभिन्न कृत्यों और प्रक्रिया के निर्धारण हेतु भी उसका परामर्श अपरिहार्य रूप से लिया जाता रहा है इस प्रकार पुरोहित हमारे धर्म तंत्र में सभी नित्य नैमित्तिक तथा काम्य कर्मों के लिए अग्नि की भांति जीवन में अग्र प्रकाश (मशाल) सदृश रहा है।विशिष्ठ अतिथि डा प्रमोद सक्सैना  ने कहा कि पुरोहित वह है जो मार्ग दिखाता है,अन्धकार रूपी अज्ञान को दूर करता है,उपदेश करता है और हम सबको गलत रास्ते से हटाकर सही रास्ते पर ले आता है।ऐसे आदमी का,ऐसे मार्गदर्शक का नाम पुरोहित है।समाज में आज ऐसे पुरोहितों की आवश्यकता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय मंत्री योगी प्रवीण आर्य ने कहा कि प्रभु की दया प्राणी मात्र पर है उसने सबको प्रकाश,वायु, अन्नोषधियां,वनस्पतियां एवं वेद ज्ञान आदि के रूप में देकर प्राणी मात्र पर दया की हुई है। उसकी कृपा उसी पर होती है जो उसके बताए मार्ग पर चलता है, परोपकार के कार्य पंच महायज्ञ आदि करता है।उन्होंने एक गीत ईश्वर कृपा को जिसने भी पाया, उसी का जन्म ये सफल हो गया है,सुनाकार भावविभोर कर दिया।समाज सेवी चौधरी मंगल सिंह जी ने दीर्घश्वसन से हम कैसे स्वस्थ रह सकते हैं,पर विस्तृत चर्चा की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी सूर्य वेश जी ने कहा की इस तरह के कार्य निरन्तर होते रहने चाहिएं, इसके लिए उन्होंने डा अग्निदेव शास्त्री को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री गोपाल कौशिक, जितेन्द्र आर्य, मनोज आर्य, अर्चना शर्मा आदि मौजूद रहे। अंत में सामूहिक शांति पाठ के साथ प्रशिक्षण शिविर का समापन किया गया।

ब्यूरो रिपोर्ट
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