बीरेंद्र के बलिदान पर पिंडर घाटी, उत्तराखंड में पसरा हुआ है मातम।

थराली, उत्तराखंड। जनपद के पिंडर घाटी में नारायणबगड़ प्रखंड के बमियाला गांव निवासी 15 गढ़वाल राइफल में नायक के पद पर तैनात बीरेंद्र सिंह आतंकी हमले में शहीद होने की खबर ने पूरे जनपद और उनके गांव में मातम पसरा हुआ है। शहीदी बीरेंद्र के परिजन अचानक आई उनकी शहादत की खबर से गहरे सदमे में हैं। शहीद बीरेंद्र सिंह 2010 में सेना में भर्ती हुए थे। सैन्य बाहुल्य बमियाला गांव से बीरेंद्र सिंह के बड़े भाई भी आईटीबीपी में तैनात हैं। बीरेंद्र अपने दो भाई और एक बहिन में सबसे छोटे थे। बीरेंद्र अपने पीछे माता-पिता,पत्नी शशि देवी और दो बेटियां पांच वर्षीय इशिका और तीन वर्षीय आयशा को छोड़ गए हैं। जहां इस खबर से सभी ओर मातम पसरा हुआ है तो दूसरी ओर आतंकी हमले में हताहत हुए शहीद जवानों के परिजन अन्त्येष्टि संस्कार के लिए इंतजार कर रहे हैं लेकिन आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के शरीर छत विक्षिप्त होने के चलते सैना शहीद जवानों का सैन्य सम्मान के साथ जम्मू कश्मीर में ही कराने की बात कह रही है लेकिन शहीद के परिजन शहीद का अंतिम दाह संस्कार हर हालत में अपने ही पैतृक घाट पर करना चाहते हैं। देहरादून से सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी लगातार सैना के अधिकारियों से वार्ता कर रहे हैं कि शहीदों का उनके गांव में ही सैन्य सम्मान के साथ अंतिम दाह संस्कार किया जाए ताकि उनके परिजन अंतिम दर्शन कर सकें। लेकिन अंतिम दौर में हुई सरकार और सैन्य अधिकारियों की वार्ता में शहीदों का अंतिम संस्कार जम्मू-कश्मीर में ही सैन्य सम्मान के साथ किए जाएंगे। इसके लिए शहीदों के परिजनों को हैलीकॉप्टर से जौलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून ले जाया जाएगा जहां से परिजन सैन्य विमान से जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना होंगे। दोपहर बाद बमियाला गांव में हैलीकॉप्टर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।

उत्तराखंड, ब्यूरो रिपोर्ट
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