विश्व प्रसिद्ध त्रिवार्षिक महानवरात्रा चोपता कौथीक का विधि-विधान पूर्वक हुआ शुभारंभ।

चमोली, उत्तराखंड। श्री सिद्ध पीठ मां राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी चोपता चौंरी में विश्व प्रसिद्ध त्रिवार्षिक महानवरात्रा(चोपता कौथीक)का विधि-विधान के साथ मंदिर गर्भगृह में घट स्थापना के बाद शुभारंभ हो गया है।
बुधवार को कड़ाकोट पट्टी के चोपता गांव में प्रातः काल प्रतिप्रदा पर्व पर भव्य कलशयात्रा निकाली गई जो मां राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी की डोली लेने मंदिर के मुख्य पुजारी के आवास पर पहुंची जहां से मां राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी की डोली को पौराणिक रीति रिवाजों, गाजे बाज़ों और मातारानी के जयकारों के साथ मंदिर परिसर तक हर्षोल्लास के साथ लाया गया। उद्घाटन समारोह संपन्न होने के पश्चात मां भगवती की डोली अर्थात मूर्ति को नवरात्रि के दौरान पूजा अर्चना के लिए मंदिर गर्भगृह में विराजमान किया गया। पूजा अर्चना आदि कार्यक्रमों के साथ ही मंदिर परिसर में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलकूद प्रतियोगिताओं का आगाज भी शुरू हो गया है। बताते चलें कि श्री सिद्ध पीठ मां राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी चोपता चौंरी की विशेष प्रसिद्धि देश और दुनिया में सुफलदायक सिद्ध पीठों के रूप में स्थापित है। यहां वैसे साल भर देवी भक्तों का पूजा अर्चना और मनोती मांगने आने का सिलसिला लगा रहता है लेकिन प्रत्येक तीन वर्षों में आयोजित होने वाले चौपता कौथीक (नवरात्रि)का महत्व ही खास बन जाता है।इस अवसर पर कड़ाकोट पट्टी के दर्जनों गांवों के प्रवासी,ध्याणियां,रिश्तेदारों का बड़ी संख्या आगमन तो होता ही है इसके अलावा देश-दुनिया से भी मां राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी चोपता चौंरी के अनुयायियों का भी हुजूम उमड़ पड़ता है इसलिए भी चोपता चौंरी का नवरात्र जिसे स्थानीय भाषा में चोपता कौथीक के नाम से जाना जाता है इसे क्षेत्र का सबसे बड़ा नवरात्र का गौरव प्राप्त है। बताया जाता है कि यहां से कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक श्रद्धालुओं के द्वारा विशाल भंडारों का भी आयोजन किया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में ही विशाल धर्मशाला का निर्माण भी वर्तमान में गतिमान है जिसके पूर्ण रूप से निर्मित हो जाने पर भविष्य में सैकड़ों लोगों को रहने की कोई दिक्कतें नहीं आयेंगी।अभी सभी मेहमानों, श्रद्धालुओं की रहने और भोजन की पूरी चाक चौबंद व्यवस्था चोपता गांव के लोग बहुत ही आत्मीयता के साथ आतिथ्य सत्कार करते हैं। चोपता चौंरी नवरात्र के अगले कार्यक्रमों में महापंचमी पर्व 17 दिसंबर को भूमियाल देवता व वीर देवता का मंदिर में विधि विधान पूर्वक पदार्पण होगा तथा बीजांकुर दर्शन के साथ ही देवी देवताओं के पश्वाओं का राजसी नृत्य प्रारंभ हो जाएगा।17 दिसंबर दिन में चोपता निवासी सुरजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी का एक साथ मेडिकल के क्षेत्र में सरकारी नौकरी लगने के उपलक्ष्य में विशाल भंडारा आयोजित किया जाएगा।षष्ठी/महाकालरात्री सप्तमी पर्व 18 दिसंबर को बगड्वालों,वीर भैरवों का नगरी भ्रमण एवं महाकालरात्री पर्व पर अखंड ज्योति के दिव्य दर्शन आदि कार्यक्रम होंगे। सप्तमी/अष्टमी पर्व 19 दिसंबर को केला बग्वान में केली दर्शन, अशोक वाटिका में हनुमान पूजन, मां नंदा देवी की डोली पूजन व कैलाश को प्रस्थान किया जाएगा। अष्टमी/नवमी पर्व 20 दिसंबर को बुडेरा नृत्य व बगड्वाल युद्ध,एन्द्री देवी का महाशक्ति से मिलन,घुडैत नृत्य आदि कार्यक्रमों की मनोहारी झलकियां प्रस्तुत किए जाएंगे तथा दसमी पर्व पर पूर्णाहुति यज्ञ हवन व हरियाली प्रसादी वितरण के साथ मंदिर समिति का भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा जिसके साथ दस दिवसीय महानवरात्रा का विधि-विधान पूर्वक समापन हो जायेगा।इसी दिन खेलकूद प्रतियोगिताओं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए जाएंगे।

उत्तराखंड, ब्यूरो रिपोर्ट
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