ग़ाज़ियाबाद पुराना शहर को निगोद तक कौन पहुँचा रहा है

ग़ाज़ियाबाद : नगर निगम की आँख कौन खोलेगा? “आमजन या जनमानस” यही अनदेखा अंदाज नगर निगम का लोगों कों पसंद नहीं आ रहा है, सालों से कूड़े एवं पशुओ की समस्या से आमजन जुंझ रहा है, पक्का तालाब, बालू पूरा की जनता सालों से सड़क किनारे मलवा डाला जाना जनता ओर निगम दोनों की समस्या रहा है। इसके लिए नगर निगम ने अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला है। ग़ाज़ियाबाद के शहर के बीचो-बीच वार्ड न. 12, पक्का तालाब मे पशुओ की जमावाड़ा एवं कूड़े की अनदेखी करना कोई ईतफाक नहीं है, कविनगर, नेहरू नगर, गाँधी नगर अशोक नगर एवं राज नगर जैसे पाश कॉलोनी के क्षेत्र कों शत-प्रतिशत सफाई अभियान के तहत साफ- सुथरा ऱखा जाता है, जिस क्षेत्र कों आप नया ग़ाज़ियाबाद भी बोल सकते है, परन्तु पुरानी बस्ती एवं चार गेट वाला पुराना शहर कों पूर्ण रुप से साफ नहीं किया जाता है। जनता की शुभकामनायें एवं धन्यवाद नगर निगम के अधिकारीयों कों दिया जाना चाहिए, पहले के मुकाबले मे साफ – सफाई का मुकाम उन्नति पर रहा है। लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी है, जिसको नगर निगम ने हमेशा अनदेखा किया है, जैसे- रमते राम रोड की नालो का जाम रहना, पक्का तालाब मे कूड़े एवं पशुओ का अबैध कब्ज़ा, बाला जी पार्क मे सड़क आदि टूटना, बालू पुरा पग डंडी का नहीं बनना, रमते राम मदिर के पिछवाड़े नालियों का जाम रहना ओर बारिश के समय मे पानी भरना यहाँ की समस्या आम हो चली है। निगम के अलावा आमजन भी जिसके जिम्मेदार है, उनका सहयोग ना होना निगम कों हेमशा समस्या मे डालता रहा है, अबैध कब्ज़ा, कूड़े कों फैलाने का कार्य, पशुओ कों डेरी आदि से खुला छोड़ देना आदि समस्या है। ऐसा ही एक लाहपरवाही का मामला संज्ञान मे आ रहा है।

नगर निगम के अंतर्गत कंपनी बाग के सफाई कर्मी आजकल मौज मार रहे है। सफाई कर्मी सुपरवाइजर जीतेन्द्र के अंतर्गत सफाई कर्मी बबलू जिम खाना मे मन मर्जी से सफाई करता है, जिसमे जिम के रूम योगा करने वालीं स्त्रीयां स्वयंसेवक बनकर सफाई करती नज़र आयेगी, परन्तु नगर निगम नें जिसकी जिम्मेदारी दे ऱखा है, वह सफाई कर्मी मौज मार रहे है। आमजन का कहना है की नगर निगम जनता का पैसा सफाई कर्मी कों देने के बाबजूद यह हाल है। की तनख्वाह देने के बाबजूद सफाई कर्मी पूर्ण रुप से सफाई करने कों तैयार नहीं है।

नगर निगम अधिकारीयों से अनुरोध है की प्रतिदिन सफाईकर्मी से सफाई अभियान शुरू कर अबैध पशुओ कों डेरी पर भी कारवाही करें।

रविंद्र आर्य
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