दिल्ली में कूड़े के पहाड़ो और दुर्गंध की जगह होगा रंगाबिरंगी तितलियों और पक्षियों का बसेरा

कूड़े के पहाड़ों पर मांस के टुकड़े ढूंढते हुए अक्सर चील और कौए दिख जाते है, लेकिन जब ये खत्म हो जाएंगे, तो इन स्थानों पर जैव विविधता पार्क नजर आएंगे। कूड़े के इन पहाड़ों को खत्म करने के बाद दिल्ली सरकार और नगर निगम की योजना है कि इन जगहों के चारों और जैव विविधता पार्क विकसित किए जाएं। इससे राजधानी के पर्यावरण को और स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।

जैव विविधता पार्क बनाएगी दिल्ली सरकार

वहीं जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से भी बचने मे मदद मिलेगी। ऐसे  में चील-कौओं के साथ रंगबिरंगी तितलियां और अन्य पक्षी भी दिखाई देंगे। दिल्ली सरकार द्वारा पेश आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कूड़े के इन पहाड़ों को खत्म करने के बाद यहां एकीकृत कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाए जाएंगे। साथ ही इनके चारों और जैव विविधता पार्क विकसित किए जाएंगे।

ओखला लैंडफिल साइट को इसी वर्ष दिसंबर तक, जबकि गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइट को अगले वर्ष तक खत्म करने की योजना है। तीनों लैंडफिल साइट की बात करें तो 180 एकड़ भूमि पर ये लैंडफिल साइट हैं। इनमें भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल 70-70 एकड़ भूमि, जबकि ओखला लैंडफिल साइट 40 एकड़ भूमि पर बनी है। साइट को खत्म करने के लिए ट्रामल मशीनों के जरिये कू़ड़े का निस्तारण किया जा रहा है।

कूड़े को अलग-अलग करने में विफल हैं निगम

दिल्ली सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में निगम के स्रोत पर ही कूड़े को अलग-अलग करके घर-घर से कूड़ा एकत्र करने के दावों की पोल खोल दी है। सर्वेक्षण के अनुसार केवल नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और दिल्ली छावनी बोर्ड (डीसीबी) में 100 प्रतिशत घर-घर से कूड़ा एकत्र कर उसे स्रोत पर ही अलग-अलग किया जा रहा है। जबकि दिल्ली नगर निगम में ऐसा नहीं है।

सर्वेक्षण के अनुसार पूर्वकालिक 272 निगम वार्डों में से केवल 148 में ही स्रोत पर कू़ड़े को अलग-अलग किया जा रहा है। निगम ने दिसंबर तक 100 प्रतिशत स्रोत पर ही कू़ड़े को अलग-अलग करने की समय-सीमा तय की है। बता दें कि तीनों निगमों को एक कर दिया हैं और कुल वार्ड की संख्या 250 हो गई है।

ब्यूरो रिपोर्ट
समय भारत 24×7

Ankit Sah
Author: Ankit Sah

Freelance Web Editor in SamayBharat24x7

By Ankit Sah

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