डॉक्टरों का कारनामा, मरीज को बिना बेहोश किए और चीर फाड़ के लगाया हार्ट का वाल्व
गाजियाबाद स्थित के एक अस्पताल में मरीज को बिना बेहोश किए और बिना चीड़ फाड़ के हृदय का वाल्व लगाया गया है. यह अपने आप में बहुत ही जटिल सर्जरी थी, लेकिन डॉक्टरों ने इसको बड़ी ही सफलतापूर्वक कर लिया है.
बताया जा रहा है कि मरीज अब पूरा तरह से ठीक है उन्हें अस्पताल से भी छुट्टी कर दी गई है.
गाजियाबाद : गाजियाबाद के कौशांबी स्थित यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हृदय रोग के इलाज के लिए एक जटील प्रोसिजर को सफलतापूर्वक किया गया. शायम पार्क एक्सटेंश, साहिबाबाद निवासी 65 वर्षीय मरीज का एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ गया था.इसकी वजह से उनकी सांस काफी फूलती थी और छाती में हमेशा भारीपन रहता था. उनके हृदय की कार्यगति सिर्फ 19 प्रतिशत रह गई थी.
अस्पताल की हृदय रोग टीम ने इस प्रोसिजर को एक ओपन हार्ट सर्जरी के वैकल्पिक प्रक्रिया ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिपलेस्मेन्ट विधि के जरए करने की सहमति दी गई. मरीज के लिए यह प्रोसिजर बेहद महत्वपूर्ण और जीवन रक्षक था. इसलिए उसने प्रोसिजर कराने का फैसला लिया और 28 फरवरी को अस्पताल में भर्ती हुआ. चूंकि मरीज का हृदय काफी कमजोर था, इसलिए पूरी तैयारी के साथ प्रोसिजर को 6 मार्च 2023 को डॉक्टरों की टीम ने जांघ के रास्ते से तार से छतरीनुमा उपकरण को खराब वॉल्व के स्थान पर सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित कर दिया. इस प्रोसिजर में किसी भी तरह की बड़ी चीर-फाड़ नहीं की गई और ओपन हार्ट सर्जरी की अपेक्षा मात्र डेढ़ घंटे में इस प्रोसिजर को कर दिया गया. इसमें मरीज को बेहोश भी नही किया गया, जबकि ओपन हार्ट सर्जरी में सात से आठ घंटे लगते हैं और पूरे समय मरीज को बेहोश रखा जाता है.
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना ने बताया की प्रोसिजर के दूसरे दिन ही मरीज चलने-फिरने लगा था और 9 मार्च 2023 को मरीज की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई. चौथे दिन जब मरीज ओपीडी में फोलोअप के लिए आया तो उसके हृदय की कार्यक्षमता 50 प्रतिशत पाई गयी. मरीज अब अपनी सामान्य दिनचर्या और आराम से जीवन यापन कर पा रहा है.डॉ. आयुष गोयल ने बताया कि इस प्रोसिजर में हार्ट या चेस्ट कैविटी को खोलने की जरूरत नहीं होती और जिस तरह से कॉर्डियक स्टेन्ट लगाया जाता है उसी प्रकार वॉल्व का प्रतिस्थापन कर दिया जाता है.
ब्यूरो रिपोर्ट
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