महफ़िल ए बारादरी में गीत, दोहा, ग़ज़ल से बयां हुई देश दुनिया की तस्वीर

कैसे समझूं कि अब बड़े हो तुम, पांव मेरे हैं और खड़े हो तुम : शकील शिफ़ाई

पूजा हो, अर्चना हो, अरदास हों नमाज़े, पर एक रंग ही हो हर हाथ की ध्वजा में : प्रमीला भारती

गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित महफ़िल ए बारादरी में देश के जाने-माने शायर शकील शिफ़ाई ने कहा कि शायरी की जुबान आसान रखोगे तो बात दूर तक जाएगी।
कार्यक्रम अध्यक्ष श्री शिफाई ने कहा ”दूर फन के मुदअआ से खींच कर ले जाएगा, शौहरतें पाने का पागलपन हुनर ले जाएगा”। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रमिला भारती ने फ़रमाया “पूजा हो, अर्चना हो, अरदास हों नमाज़े, पर एक ही रंग हो हर हाथ की ध्वजा में।” बारादरी के
अध्यक्ष गोविंद गुलशन ने कहा “इसलिए रहता नहीं कोई नया डर मुझमें, आईना झांकता रहता है बराबर मुझमें। कार्यक्रम से तकनीकी माध्यम से जुड़ी संस्था की संस्थापिका डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ ने कहा “आज रौशन चिराग दिल का है, और कुछ देर आज रात रहे। मुझमें बस शेरियत रहे ज़िंदा, बाकी सबसे मुझे निजात रहे। कुछ रहे या ना रहे मगर ‘गौहर’, हाथ में मेरे उसका हाथ रहे।”
अपने गीत, शेर, दोहे के माध्यम से तमाम रचनाकारों ने देश और दुनिया की तस्वीर पेश की। शायर सुरेंद्र सिंघल ने फरमाया “गले मिले वो मुझको कस के भींच के मुहब्बतन, जरूर कोई बात है ये क्या हुआ है दफअतन। सुना है तेरे आस पास ही उगे है हर ग़ज़ल, सो मुझको तेरे इर्द गिर्द रहना है जरूरतन।” संदीप शज़र ने अपनी बात यूं रखी “ज़रा सी देर में सब अस्ल रंग में आ गए, कहीं पे लाल कहीं नीले और हरे हुए लोग। ये इंक़लाब का परचम कहां सम्हालेंगे, घरों में शोर मचाते हुए डरे हुए लोग।” मासूम गाजियाबादी ने कहा ”जो कलियों से ही नादानी करेंगे, चमन की क्या निगहबानी करेंगे’।” डॉ. ईश्वर सिंह तेवतिया की कविता “वृद्धाश्रम से खत” आज मैं खुद ही खुदी को, एक मुज़रिम दिख रहा हूं, मैं तुम्हें वृद्धाश्रम से आखिरी खत लिख रहा हूं… खूब सराही गई। कार्यक्रम का शुभारंभ सोनम यादव की सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कीर्ति रतन ने फरमाया “आत्मशंसा की हद से परे जाइए, गुफ़्तुगू आईने से करे जाइए।” इसके अलावा नेहा वैद, सुभाष चंदर, वी. के. वर्मा शैदी, अनिमेष शर्मा, डॉ. सुधीर त्यागी, सीमा सिकंदर, राजीव सिंघल, प्रतिभा प्रीत, मनीषा जोशी, अमर पंकज, सोनम यादव, संजीव शर्मा, राजीव कामिल, इंद्रजीत सुकुमार, दिनेश श्रीवास्तव, सुरेंद्र शर्मा, जे. पी. रावत, अंजू साधक, देवेन्द्र देव, मृत्युंजय साधक, गीता रस्तौगी, विनोद कुमार विनय आदि की रचनाएं भी सराही गईं। इस अवसर पर तिलक राज अरोड़ा, आलोक यात्री, राष्ट्रवर्धन अरोड़ा, अनिल शर्मा, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, वागीश शर्मा, रिंकल शर्मा, विष्णु कुमार गुप्ता, आशीष मित्तल, सत्यनारायण शर्मा, शशिकांत भारद्वाज, तेजवीर सिंह, प्रभात चौधरी, अमित बेनाम, स्वामी अशोक चैतन्य, देवव्रत चौधरी, हंसराज सिंह, राकेश मिश्रा,अरुण कुमार यादव,
राम प्रकाश गौड़, संजय सिंह भदौरिया, वीरेंद्र राठौड़, ए. आर. जैदी, अशहर इब्राहिम, नूतन यादव, टेकचंद, सिमरन, अनीता सिंह, मुरली सिंह, मुकेश सिंह, प्रखर सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
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 आलोक यात्री