जानिए “राहु ग्रह” के बारें में
“राहु ग्रह”
राहु का प्रभाव कुंडली के सभी 12 भावों में:-
यदि यह ग्रह कुंडली में उत्तम हो तो जातक को इसके अच्छे परिणाम भी प्राप्त होते हैं। वहीं इसे राजनीति का कारक भी माना गया है। दरअसल कुंडली के 12 भाव व्यक्ति के जीवन से लेकर मरण तक की संपूर्ण यात्रा को बताते हैं। इसलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि राहु का 12 भावों में प्रभाव किस प्रकार से पडराहु का प्रभाव कुंडली के सभी 12 भावों में अलग-अलग पड़ता है। परंतु ऐसा नहीं है कि राहु व्यक्ति को सदैव बुरे फल देता है।
यदि यह ग्रह कुंडली में उत्तम हो तो जातक को इसके अच्छे परिणाम भी प्राप्त होते हैं। वहीं इसे राजनीति का कारक भी माना गया है। दरअसल कुंडली के 12 भाव व्यक्ति के जीवन से लेकर मरण तक की संपूर्ण यात्रा को बताते हैं। इसलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि राहु का 12 भावों में प्रभाव किस प्रकार से पड़ता है
राहु ग्रह का महत्व :-
ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहते हैं। जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएँ आदि का कारक कहते हैं।
जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
27 नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। ज्योतिष में राहु ग्रह को एक छाया ग्रह कहा जाता है। राहु का रत्न गोमेद है, लेकिन इसे कभी भी किसी जानकार की सलाह के बिना धारण नहीं करना
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित लग्न भाव में राहु होता है वह व्यक्ति सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है। व्यक्ति साहसिक कार्यों से पीछे नहीं हटता है।
लग्न का राहु व्यक्ति को समाज में प्रभावशाली बनाता है। वहीं इसके प्रभाव बहुत हद तक लग्न में स्थित राशि पर निर्भर करता है। इसके अलावा ज्योतिष में लग्न का राहु व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
ज्योतिष में राहु को बुरा और अशुभ ग्रह माना गया है। लोग राहु का नाम सुनते ही परेशान हो उठते हैं। कुंडली में राहु का असर होने से बीमारियां, परेशानियां और असफलता पीछे लग जाती हैं। आइए जानते हैं कुंडली में राहु के अन्य ग्रहों से युति होने से व्यक्ति के जीवन पर क्या-क्या असर पड़ता है।
राहु ही केतु के साथ योग कर कालसर्प योग का भी निर्माण करता है। ऐसी स्थिति जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हो जाए उसे ही कालसर्प योग माना जाता
राहु ग्रह के साथ शुक्र की युति से व्यक्ति गलत आदतों का शिकार हो सकता है। व्यक्ति के अंदर से नैतिकता का पतन होने लगता है। व्यक्ति अधर्म के मार्ग पर चलने को विवश हो जाता है। शुक्र के शुभ असर राहु समाप्त कर देता है।
राहु और मंगल
इसे अंगारक योग भी कहते हैं। ये योग भाई के लिए अशुभ रहता है। खून से संबंधित समस्या हो सकती है। वहीं यह भी माना जाता है कि राहु और मंगल दोनों साथ होते हैं तो एक दूसरे को अस्त कर देते हैं।
राहु और गुरु
कुंडली में राहु और गुरु का योग होने से कुछ शुभ तो कुछ अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है। इस योग से व्यक्ति लंबी आयु तक जीवित रहता है, लेकिन इनके जीवन में परेशानियां हमेशा बनी रहती हैं।
राहु और शनि
कुंडली में अगर किसी के शनि के साथ राहु स्थित है तो ऐसा व्यक्ति रहस्यमयी और चालक किस्म के होते हैं। ये लोग गलत तरीके से बहुत अधिक पैसा कमाते हैं।
राहु और सूर्य
इस योग का प्रभाव बहुत ही अशुभ होता है। पिता पुत्र में विवाद रहता है और परेशानियां आती हैं। वहीं राहु ही सूर्य का ग्रास भी करता है।
राहु और चंद्र
इस योग के कारण व्यक्ति को मानसिक परेशानी आती हैं। व्यक्ति सबसे ज्यादा तनावग्रस्त रहता है।
राहु और बुध
राहु के इस योग से व्यक्ति को सिर से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
राहु के अशुभ प्रभाव:-
राहु के अशुभ असर से व्यक्ति को अपमान का दंश झेलना पड़ता है।
राहु के अशुभ प्रभाव से किसी काम में व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती।
जब कुंडली में राहु अशुभ होता है व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है।
राहु राजनीति में तो ले जाता है लेकिन बदनामी का कारण भी यही ग्रह होता है।
अशुभ राहु के प्रभाव से व्यक्ति की व्यवहार और नैतिकता में लगातार गिरावट आती है।
राहु खराब होने के यह हैं लक्षण :-
अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो यह आपको बुरे प्रभाव देगा। लेकिन समस्या यह है कि आप कैसे पहचानेगे कि राहु दोष है। तो हम आपको बताते है कि किन लक्षणों से आप जान सकते है कि राहु दोष है कि नहीं।
अगर आपके घर-परिवार में बिना बात घर में कलह, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु बिना बात परेशान करें, आपकी सेहत ठीक न रहें या फिर आपका सम्मान कोई न करें तो समझ लीजिएं कि आपका कोई ग्रह खराब है।
लक्षण :-
अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो आपको मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना और अपशब्द बोलना साथ ही अगर आपकी कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हौ तो आपके हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते
इसके साथ ही वाहन दुर्घटना, पेट में कोई समस्या, सिर में दर्द होना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, संबंध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं की ओर से परेशान आदि आपकी कुंडली में राहु के खराब होने के संकेत है।
अगर आप इन समस्याओं से परेशान है तो इन उपायों को अपनाकर आप अपनी कुंडली से राहु को शांत कर सकते है।
राहु ग्रह अगर आपकी कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो तो शांति के लिए राहु के बीजमंत्र का 18000 बार जप करें।
बीजमंत्र: ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
ज्योतिष सलाहकार, रिलेशनशिप एडवाइजर, लव गुरु, एस्ट्रो “सैंटी”