घर में जब किसी बच्चे की किलकारी गूंजती है तो घर में खुशियों का माहौल बन जाता है ।जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है उसकी मासूमियत की हरकत हर किसी का दिल मोह लेती हैं । लेकिन जब वही मासूम पैदाइशी किसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो जाता है तो घर की खुशियां चूर चूर हो जाती हैं। ऐसा ही एक मामला दिल्ली के एक परिवार में सामने आया जिन की बच्ची को एक लाइलाज बीमारी नहीं घेर लिया जिसके कारण उसे और तरह-तरह की बीमारियां हो गई ,बच्ची को जो जन्मजात बीमारी थी उसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहते हैं। जिसमें बीमार का भजन तेजी से बढ़ता है।

दिल्ली की रहने वाली 12 साल की मासूम प्राची जब घर में पैदा हुई थी वह तारीख थी 21 नवंबर जब प्राची का जन्म हुआ था जन्म के समय प्राची का भजन लगभग पौने 2 किलोग्राम था, जिसके बाद जैसे-जैसे प्राची बढ़ने लगी उसका वजन भी बढता जा़ रहा था। गोल मटोल होती प्राची को देख घर के लोग काफी खुश थे लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं बनी रही धीरे-धीरे प्राची का भजन बहुत तेजी से बढ़ने लगा । जिसके लिए प्राची के माता-पिता डॉक्टरों के चक्कर काटने लगे साल दर साल प्राची का वजन बढ़ता तो जाता था ।

साथ ही साथ उसके माता-पिता डॉक्टर भी बदल रहे थे ,मगर प्राची को कोई आराम नहीं मिल रहा था और उसका वजन लगातार बढ़ता जा रहा था यहां तक कि 12 साल की उम्र तक आते-आते उसका वजन 90 किलो को भी पार कर गया । बढ़ते वजन के साथ-साथ प्राची बिस्तर से उठना खेलना सब बंद हो गया क्योंकि वजन बहुत ज्यादा बढ़ गया था वजन बढ़ने के कारण प्राची को शुगर और अन्य जानलेवा बीमारी भी हो गई थी।

प्राची के पिता के कोई जानकार थे जिन्होंने गाजियाबाद के अस्पताल का पता दिया और बताया इस निजी अस्पताल के डॉक्टर ने पहले भी ऐसी ही बीमारी का सफल ऑपरेशन किया आप भी उनसे जाकर मिल लो। जिसके बाद प्राची के पिता दिल्ली से गाजियाबाद के मैक्स हॉस्पिटल आए और डॉक्टरों से प्राची की बीमारी को बताया डॉक्टर ने पहले डायग्नोज किया और प्राची को अस्पताल में भर्ती करने को राजी हो गए।

अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों ने प्राची का उपचार करना शुरू किया बच्चे की जांच से डॉक्टर को पता चला की बच्ची प्रेडर विल्ली सिंड्रोम से पीड़ित है इस बीमारी में लगातार पीड़ित का वजन बढ़ता जाता है ।मोटापा बढ़ने से पीड़ित का इलाज अन्य मरीजों की तुलना में बहुत मुश्किल होता है और इसमें ऑपरेशन से पहले और ऑपरेशन के दौरान बहुत बारीक बारीक सावधानी रखनी होती है। इस बीमारी में पीड़ित मरीज में जेनेटिक डिसऑर्डर होते हैं।

जिसमें मोटापा मंदबुद्धि छोटा कद जैसी समस्याएं पैदा होती है ,साथ ही किशोरावस्था में भी पीड़ित देरी से प्रवेश करता है और भूख लगने जैसी अन्य समस्याएं भी होती है । प्रेडर बिल्ली सिंड्रोम से मरीज को राहत नहीं मिलती है तो उनके खान-पान की आदतें बदल जाती है , जिससे और बीमारियां भी मरीज के शरीर में घर कर लेती हैं । डॉक्टरों ने बताया प्राची को चेकअप के बाद सभी उपचार कर लिए गए थे लेकिन उसके बढ़ते वजन पर काबू नहीं पाया जा सका ।

प्राची कोउसके घर वालों ने मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों ने संपूर्णजांच के बाद एनेस्थीसिया के द्वारा बेरियाट्रिक सर्जरी का फैसला किया पहले प्राची की अस्पताल में जांच की गई तो जो जांच में सामने आया वजन बढ़ने का कारण  सिंड्रोम था साथ ही प्राची स्लीप एपनिया की गंभीर स्थिति मैं भी पहुंच चुकी थी ।इसके दौरान मरीज सोने के दौरान उसका ऑक्सीजन लेवल 70 फीसदी के नीचे चला जाता है, जो जानलेवा भी हो सकता है ।पिछले 2 सालों में प्राची का वजन तेजी से बढ़ा था जिसके कारण चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहने के कारण प्राची को बेड सोल भी हो गए थे ।साथ ही प्राची की स्थिति इतनी खराब थी कि वह व्हीलचेयर पर भी नहीं बैठ पा रही थी। मोटापे के कारण उसका डायबिटीज स्तर भी बहुत बढ़ चुका था ।डॉक्टर के सामने बहुत सी चुनौतियां थी लेकिन फिर भी डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन किया। आप खुद सुन लीजिए क्या कहते ही डॉक्टर और इस बीमारी का कितना कठिन है ऑपरेशन

ऑपरेशन के बाद प्राची का वजन 16 किग्रा तक घट गया है परिवार खुश है साथ ही डॉक्टर भी प्राची के आने वाले समय में स्वास्थ रहने की कामना कर रहे है ।