कानपुर में अगर भ्रष्ट और निरंकुश विभागों की बात की जाए तो शायद उस लिस्ट में केडीए का नंबर सबसे पहले आएगा। आए दिन अपनी कारगुजारियों और लोगों को एड़िया रगड़ने को मजबूर करने वाला यह विभाग यूं तो अक्सर सुर्खियों में रहता पर आज केडीए में जो हुआ उसे बयां करने के लिए बस यह तश्वीरें ही काफी हैं।

दरअसल राजेश पांडेय और उनकी पत्नी स्वेता ने वर्ष 2007 में कानपुर विकास प्राधिकरण से एक आशियाने की दरकार के चलते एक भूखंड जवाहरपुरम योजना के तहत आवंटित कराया जिस पर कब्जे के वक्त पांडेय दंपत्ति को पता चला कि केडीए द्वारा दिया गया भूखण्ड विवादित जिसकी जानकारी राजेश और स्वेता ने प्राधिकरण अधिकारियों को दी। सालों टहलाने के बाद आखिरकार केडीए ने पांडेय दंपत्ति को वैकल्पिक भूखंड A-2/03 सेक्टर -4 जवाहरपुरम वर्ष 2020 में आवंटित तो कर दिया पर सालों की दौड़भाग के बाद भी आज भी पांडये दंपत्ति को जमीनी कब्जा ना मिल पाने के चलते केडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की टेबलों के चक्कर काट रहे हैं। केडीए के अधिकारियों के भ्रष्ट रवैये से परेशान पांडेय

दंपत्ति जब केडीए सचिव एसपी सिंह के पास पहुंचे तो सचिव महोदय ने मीटिंग का हवाला देते हुए पीड़ित महिला स्वेता से बात करने और समस्या सुनने से साफ इंकार कर दिया और प्राधिकरण परिसर से बाहर चले गए। जिसके बाद स्वेता रो-रोकर अपनी आप बीती सुनाने लगी कि कैसे उसे केडीए द्वारा जानबूझकर विवादित प्लाट एलाट किया गया और कैसे उसे चक्कर कटवाए जा रहे हैं।

पीड़ित महिला ने साफ कहा की अगर उसकी समस्या का समाधान जल्द से जल्द नही किया गया तो वो केडीए परिसर में अधिकारियों के सामने ही आत्मदाह कर लेगी जिसका जिम्मेदारी सिर्फ केडीए अधिकारियों और केडीए के भ्रष्ट कर्मचारी होंगे।