पूरे भारत में आज बकरीद का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. ईद-उल-अज़हा इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार,12वें महीने की 10 तारीख को मनाई जाती है. आपको बता दें, इसी माह में हज यात्रा भी की जाती है. इस दिन लोग सुबह जल्‍दी उठ कर स्नान करके साफ कपड़े पहनते हैं और मस्जिदों में जाकर नमाज़ अदा करते हैं. इस विशेष अवसर पर मस्जिदों और ईदगाहों में बकरीद की ख़ास नमाज 6 घंटो के लिए अदा की जाती हैं, ईद के इस शुभ अवसर पर लोग लड़ाई-झगडे भुला कर एक-दूसरे के घर जाते हैं और ईद की बधाई देते हैं. इस्लाम मजहब में कुर्बानी को बहुत महत्ता हासिल है. कहा जाता हैं, कि बकरीद के मुबारक अवसर पर मुसलमान अपने रब को राजी करने के लिए कुर्बानी देते हैं.

इस्लाम धर्म के अनुसार, एक बार अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम की आज़माइश के तहत उनसे अपनी राह में उनकी सबसे प्यारे चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया. क्‍योंकि उनके लिए सबसे प्‍यारे उनके बेटे ही थे तो यह बात हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे को भी बताई. इस तरह उनके बेटे अल्‍लाह की राह में कुर्बान होने को राज़ी हो गए.और जैसे ही उन्‍होंने अपने बेटे की गर्दन पर छुरी रखी, तो अल्लाह के हुक्‍म से उनके बेटे की जगह भेड़ जिबह हो गया. इसलिए कहा जाता हैं, कि हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे की मोहब्बत से भी बढ़ कर अपने रब की मोहब्बत को अहमियत दी. तभी से ही अल्लाह की राह में कुर्बानी करने का दौर चला आ रहा है.