केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी जिले की पंचायत राज अधिकारी श्रेया मिश्रा को ईमानदारी की नौकरी पड़ी भारी। विकास भवन स्थित उनके ही कार्यालय में विजिलेंस टीम के द्वारा उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब एक सफाई कर्मी द्वारा बकाए वेतन एवं एरियर की भुगतान के लिए 30 हजार रुपए घूस के रूप में दिया जा रहा था। इस मामले में तरह-तरह के बयान बाजियां और अटकलें लगती रही क्योंकि समूचे प्रकरण में किसी भी अधिकारी के द्वारा आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया इसलिए मीडिया सहित आम जनमानस का अटकलें लगाना स्वाभाविक है। इस घटनाक्रम के दूसरे दिन 18 जून को विजिलेंस टीम के द्वारा डीपीआरओ को गोरखपुर ले जाने से पहले गौरीगंज स्थित जिला चिकित्सालय में मेडिकल कराया गया मेडिकल कराने के दौरान डीपीआरओ ने जिला अस्पताल गौरीगंज में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए – आंखों में आंसू लिए हुए बताया की नौकरी ज्वाइन करने के 5 महीने बाद से ही उनको फंसाने की साजिश लगातार रची जा रही है यही नहीं इस कार्य में उनके ही कार्यालय के कुछ लोग शामिल हैं। आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि उस दिन उनके कार्यालय के बाबू के द्वारा सूचना दी गई कि सफाई कर्मी सुशील कुमार उनसे मिलना चाहता था । लेकिन उन्होंने मना कर दिया था जिसके बाद सफाई कर्मी गेट के बाहर खड़े गार्ड को धक्का देते हुए जबरन उनके चेंबर में घुस गया और घुसते ही उनके हाथ में पैसे रखकर वह पैर पकड़कर माफ करने की बात कहने लगा । पैसा मेज पर रख कर उन्होंने सफाई कर्मी से अपना पैर छुड़ाने का प्रयास किया तभी विजिलेंस टीम ने अंदर आकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया । जब डीपीआरओ के इस बयान की पड़ताल करने मीडिया की टीम विकास भवन पहुंची तब वहां पर उस दिन गार्ड के रूप में गेट पर मौजूद छोटेलाल सरोज ने बताया कि जो व्यक्ति मिलने आया था मैं उसका नाम नहीं जानता और ना ही मैं उस को पहचानता था जब वह मिलने के लिए गया तो उसको मैंने रोका उसके बावजूद उसने जबर्दस्ती अंदर प्रवेश किया उसके बाद तुरंत विजिलेंस टीम उसके रहते हुए अंदर प्रवेश कर गई के बाद अंदर क्या हुआ मैं नहीं जानता क्योंकि मैं अंदर जाता नहीं हूं इन लोगों के अलावा अंदर और कोई भी नहीं था। उस दिन कार्यालय में तैनात सफाई कर्मी लक्ष्मी देवी ने बताया कि विजिलेंस टीम के जाने के पहले एक आदमी आया था वह अंदर जबरदस्ती घुस गया । उसके बाद टीम गई फिर अंदर क्या हुआ मुझको कुछ भी नहीं पता है लेकिन मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि हमारी मैडम बहुत अच्छी हैं। इसके साथ आपको यह भी बताना चाहूंगा कि घूस देने वाला सफाई कर्मी कोई आम इंसान नहीं है यह एक ऐसा इंसान है जिसने 2009 में सर्विस के आने से पहले एक अधिशासी अभियंता के घर वाहन चालक की नौकरी करता था और वहीं से 1 करोड़ रुपए चुरा कर भाग लिया था । पुलिस की टीम ने इसके लखनऊ के तेलीबाग स्थित आवास से 80 लाख रुपए बरामद करते हुए आवास को सील कर दिया था । इस मामले में यह सफाई कर्मी एक बार 18 माह और दूसरी बार 6 माह की जेल भी काट चुका है। यही नहीं इसकी कहानी यहीं खत्म नहीं होती है इस शख्स ने अमेठी में नौकरी पाने के बाद अपने साथी कर्मचारी प्रेम कुमार के साथ विश्वासघात करके उसके खाते से 13 लाख रुपए उड़ा लिए थे जब पुलिस या दबाव पड़ा तब उसने 11 लाख 75 हजार रुपए दो बार में वापस किए अभी भी 1 लाख 25 प्रेम कुमार के बकाया ही है। इस प्रकार डीपीआरओ श्रेया मिश्रा के द्वारा बताई गई सारी बातें बिल्कुल सही निकली।