इसे किस्मत का दोष कह या फिर सरकार का दोष ही कहेंगे कि कोई विस्व चैम्पियन होने के बाद भी सड़क पर बैठकर चाय बेचता हुआ दिखाई दे ये इस देश के ऐसे होनहार खिलाड़ियों के लिए दुर्भाग्य की ही बात है ।
ये सड़क पर खड़े होकर चाय बेच रहा होनहार कराटे खिलाड़ी है विस्व चैंपियन हरिओम सुक्ला जोकि अपनी मेहनत और लगन के कारण देश के नाम कई देशों से गोल्ड मैडल तक जीतकर नाम रोशन किया लेकिन आज उसी का नाम अंधकार में है क्यों न तो हरिओम सुक्ला को किसी तरह की सरकारी मदद मिल सकी न किसी नेता य फिर अधिकारी ने ही उनके हौशले को देखकर उसके कदमो को रफ्तार दी इसी कारण आज उसके सामने परिवार के भरण पोषण तक कि कठनाई आ खड़ी हुई है ।कराटे चैंपियन गोल्ड मेडलिस्ट हरिओम शुक्ला का परिवार मूल रूप से मथुरा के छोटी कोसी का रहने वाला है। 2013 से हरिओम का परिवार यमुना पार स्थित ईशापुर पानी की टंकी के पास वार्ड नंबर 14 में रहकर अपना जीवन यापन कर रहा है। कराटे चैंपियन हरिओम शुक्ला का जन्म 28 अगस्त 1993 में यमुना पार स्थित कॉलोनी में हुआ था। हरिओम ने कक्षा 10 और 12 चौधरी बदन सिंह कॉलेज बलदेव से किया और स्नाकोत्तर जे एस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद से हुई थी। जब से हरिओम ने होश सभाला तभी से हरिओम की रूचि कराटे लड़ने में बढ़ी। जिले से लेकर इंटरनेशनल स्तर तक हरिओम ने कराटे में दर्जनों गोल्ड ,सिल्वर और कास्य पदक जीते। इंटरनेशनल खिलाड़ी होने के बाबजूद भी हरिओम शुक्ला अपने परिवार का चाय बेचकर पालन पोषण कर रहे हैं। जब हमने हरिओम से उनके कराटे चैंपियन के सफर के बारे में बात कि तो उसने बड़े ही दुखी मन से बताया कि मैंने 2006 में मथुरा से कराटे लड़ना शुरू किया और फिर मेरी प्रतिभा को देखते हुए मुझे 2008 में मुंबई के अँधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में खेलने का मौका मिला। यहीं मैंने इंटरनेशनल को भी लड़ा इसके बाद 2008 और 2010 में ओपन से पहला गोल्ड मेडल काठमांडू से जीतकर आया था साथ ही हरिओम ने बताया कि 2013 में थाईलैंड के पटाया में मुझे खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ यहाँ से मैंने गोल्ड मेडल पर अपना कब्ज़ा किया जिससे मेरे कदम बढ़ते गए हरिओम ने कहा की थाईलेंड से 2013 में ही सिल्वर सीनियर को जीता था फिर USA से इंटरनेशनल 2015 में दूसरा सिल्वर और श्रीलंका में पहला सीनियर गोल्ड और दूसरा ओपन सिल्वर को मैंने जीतकर जिले के साथ साथ देश का नाम भी ऊँचा किया मैंने क़रीब 60 मेडल जीते जिसमें गोल्ड,सिल्वर और कास्य पदक शामिल हैं लेकिन आज उसका मन काफी दुखी है क्यों कि जिस तरह से उसने विस्व चैंपियन का मेडल भी जीता बीएससी पास की मगर सरकार ने उनके लिए कुछ मदद के नाम पर नही किया इसी लिए आज विस्व चैम्पियन होने के बावजूद चाय बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है जोकि देश के ऐसे होनहार खिलाड़ी के साथ साथ सरकार और स्थानीय नेताओं तथा जिला प्रशासन के लिए बहुत ही शर्मनाक है ।