मथुरा देश भर मैं होली को लोग सिर्फ अशत्य पर सत्य की विजय के रूप मैं पूजा जाता है और इसको मनाते है भक्त प्रहलाद के होली मैं न जलने की प्रथा के वाद से ..मगर मथुरा मैं ऐसी भी जगह है जहाँ पर आज भी ये प्रथा चली आरही है जहाँ आज भी लगभग 20 फिट ऊँची होली जलाई जाती है और उसमें से निकलता है एक पंडा प्रहलाद के रूप मैं … जैसे उस समय होली मैं प्रहलाद की बुआ और राजा हरैन्य कश्यप की बहिन होलिका का साथ था उशी तरह से यहाँ भी होली मैं से निकलने वाले मोनू पंडा के साथ होती है उसकी भी बहिन लेकिन इस होली मैं वो निकलती नहीं है सिर्फ यहाँ पर बने प्रहलाद कुंड मैं स्नान करने तक ही होती है …एषा होता है मथुरा से लगभग 55 किलो मीटर दूर स्थित है फालैन नाम के एक गाँव जहाँ पर सेकड़ों साल से जलती हुयी होली मैं से निकलता है प्रहलाद के रूप मैं यहाँ पर रहने वाले पंडित परिवार का सदस्य जो की पीड़ी दर पीडी अभी चला आरहा .. कहा जाता है की मथुरा के जट्बारी मैं भी पिछले कई शाल से फालेन गाँव कि तरह से भी एक पंडा और निकलता है .. बैसे फालैन के लोगों का कहना है की हमारे यहाँ पर पंडित जी के परिवार मैं से सुरु से ही इस प्रथा को चलाया जा रहा है और अभी तक इसमें किशी भी निकलने वाले पंडा को कोई भी तकलीफ नहीं हुयी …. और इसमें से निकलने वाले पण्डे को सवा महिना पहले से ही अन्न छोड़ना पड़ता है और हर रोज यमुना स्नान के वाद पूजा की जाती सारे गाँव की परिकृमा करने के वाद जमीं पर ही शोना होता है इसके लिए भी पंडा जी सिर्फ फल और दूध का ही सेवन करते है … बही गाँव का पंडा मोनू ने कहा की जब हम इस आग से पार होते है तो हमको कोई भी परेशानी नहीं होती और हमपर भक्त प्रहलाद की ही कृपा है जो आग भी ठंडी लगती है और हमको कोई भी तकलीफ नहीं होती की हम कहाँ पर है ….