बरसाने ओर नन्द गाँव से सुरु हुयी ब्रज की लट्ठ मार होली आज पहुंच चुकी है भगवान कृष्ण के धाम गोकुल में जहाँ प़र आज गोकुल में नन्द बाबा के महल से सुरु हुआ भगवान का डोला जिसमें गोकुल वासी होली की मस्ती में मस्त होकर नाचते गाते चल रहे है / भगवान का डोला जिसमें विराज कर भगवान आयें अपने साथी सखाओं के साथ नन्द चौक जहाँ प़र गोकुल की महिलाएं उनपर खूब करती है छड़ी से वार क्यूँ की जहां बरसाना और नंदगांव में लट्ठ मार होली होती है तो गोकुल में छड़ी मार होली होती है क्यों यहाँ प़र छड़ी इस लिए मारते है की गोकुल में भगवान बाल रूप में विराजे होते इस लिए लठ की मार भगवान सहन नहीं कर सकेंगे तो गोपियाँ लठ की जगह प़र छड़ी से मारकर होली खेलती है जिसके वाद नन्द चौक में बनाये गये भगवान के बगीचे में मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान ओर भक्तों के ऊपर टेसू के फूल से बना हुआ रंग डालकर होली का आनंद लेते है ओर यहाँ प़र आये भक्त भगवान की छड़ी मार होली के दर्शन कर आनंदित हो जाते है / यहाँ प़र इस्तेमाल होने वाला ये रंग भी बहुत ही लाभदायक होता है क्यूँ की यहाँ के लोग इस रंग को बनाने के लिए महीनों पहले से तयारी करते है ओर जिसके वाद जब ये सरीर प़र पड़ता है तो किसी भी तरह का कोई नुकशान नहीं होने देता इशी लिए ब्रज में ज्यादातर मंदिरों की होली में ब्रजवासी टेसू के फूल से बने रंग का ही इस्तेमाल करते है /