“कानपुर को अवैध इमारतों का जंगल बना रहा KDA”

:- लैंडयूज को दरकिनार कर बन रहे बड़े-बड़े अवैध भवन,

:- रेजीडेंशियल क्षेत्रों में बन रहे अवैध कामर्शियल भवन,

:- मानचित्र आवासीय पर बन रहे व्यवसायिक भवन,

:- ट्रैफिक सीवर आदि बहुतेरी समस्याओं से और अधिक जूझेगा कानपुर

:- जानबूझकर KDA उपाध्यक्ष और अपर सचिव बने हैं मूकदर्शक।

:- शिकायत,आश्वाशन और कार्यवाई के खेल में उलझा केडीए

:- आंखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बांध धृतराष्ट्र बने केडीए के आला अधिकारी।

ये जो कंक्रीट के भवनों की तस्वीरे आपके सामने है यह सभी आवासीय क्षेत्रों में बन रही व्यवसायिक इमारतें हैं कानपुर विकास प्राधिकरण से इन भवनों का आवासीय नक्सा भी पास है लेकिन यह आवासीय भवन नही बल्कि व्यवसायिक भवन बन कर तैयार हो रहे हैं। जिसकी जानकारी कानपुर विकास प्राधिकरण के अपर सचिव डॉ गुणाकेश शर्मा सहित KDA उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह को भी है लेकिन रसूखदारों की धमक और नोटों की चमक ने इनके चश्मे का नम्बर बढ़ा दिया है जिसकी वजह से अवैध व्यवसायिक भवनों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही तो दूर की बात यह इन अवैध भवनों की तरफ आंख उठाने की भी हिम्मत नही दिखा पा रहे है जबकि यह सभी अवैध इमारते इन्ही बड़े अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान बनी है।
इन अवैध इमारतों की सुरुआत से ही केडीए के समक्ष और आला अधिकारियों को इसकी जानकारी मीडिया और दूसरे माध्यमों से दी गई थी। साफ नजर आ रहा था कि इमारतों का निर्माण आवासीय है या व्यवसायिक पर तब से अब तक अनगिनत बार केडीए के प्रधान अधिकारियों जानकारी दी गई ।आज इमारतें बन के लगभग तैयार हो चुकी हैं। केडीए के अधिकारियों को भी भविष्य में ऐसी इमारतों से होने वाली समस्याओं का अंदाज़ा है वो जानते हैं कि प्राधिकरण की इस निरंकुशता से बनने वाली इमारते आने वाले वक्त में कानपुर में बहुत सी मुसीबतों का सबब बनेंगी पर केडीए उपाध्यक्ष और अपर सचिव जैसे अधिकारी इस कृत्य पर आँखों मे पट्टी बाँध पूरी तरह से धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रहे हैं।
प्राधिकरण क्षेत्र में सजी इस चौसर में दांव तो आवासीय का खेला जाता है पर उसे व्यावसायिक बना पौ बारह की जाती है। इस पूरे खेल में केडीए के आला अधिकारी धृतराष्ट्र हैं जो सबकुछ जानते हैं पर स्वार्थ और भ्रष्टाचार की पट्टी उतार इस खेल को रोकना नहीं चाहते। फिलहाल 16 चिन्हित अवैध इमारतों पर अंतरिम कार्यवाई के लिए केडीए के जिम्मेदार अधिकारी अपर सचिव डा०गुणाकेश शर्मा ने 27 मार्च तय की है पर जमीनी हकीकत अभी भी ज्यूँ की त्यों है।
केडीए अधिकारियों की इन अवैध ईमारतों पर मेहरबानी का सबब साफ है कि अब अधिकारी जिले में प्राधिकरण एक्ट से नहीं अपनी मर्जी को आश्वासन और कार्यवाइयों फाइलों में लपेट कर अवैध इमारतों का जंगल खड़ा करेंगे।