मथुरा वृंदावन श्री धाम वृंदावन के रमण रेती मार्ग स्थित चिंतामणि कुंज में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिस के द्वितीय दिवस व्यास पीठ पर बोलते हुए श्री कृष्ण कन्हैया पद रेणु महाराज ने कहा है कि भगवान व्यास जी 17 पुराणों की रचना के बाद भी प्रसन्न नहीं थे। नारद जी से पूछने पर उन्होंने व्यास जी को बताया कि मनुष्य की सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए पुराण हैं। लेकिन आत्म तृप्ति श्रीहरि की महिमा श्रीमद्बागवत ही कर सकती है। श्रीमद्भागवत की रचना के बाद शुकदेव जी पहली बार श्रीमद्भागवत कथा सुनाने व राजा परिक्षित को इसे पहली बार सुनने का सौभाग्य मिला। शुकागमन व राजा परिक्षित की कथा के माध्यम से बताया कि स्वर्ण यानि धन से लोभ और मोह, आसक्ति बढ़ती है। इसलिए धन का लोभ न करें। उन्होंने कहा कि बुआ कुंती को जब इस बात का ज्ञान हुआ कि श्रीकृष्ण ही श्रीहरि हैं तो उन्होंने उनसे दुनिया भर के दुख मांगे। श्रीकृष्ण के पूछने पर बुआ कुंती ने कहा कि जब दुख होता है तभी हरि का सुमिरन याद आता है। वहीं तुलसिदास के दोहे हरिनाम बिना सब जीव दुखारी… के माध्यम से श्रीहरि नाम की कृपा की व्याख्या की। कार्यक्रम में बाबूलाल शुक्ला, देवेश मिश्रा, अनिल मिश्रा, शैलेंद्र शुक्ला, अविनाश मिश्रा, अनुराग शर्मा एवं कार्यक्रम के व्यवस्थापक विशाल मिश्रा व रवि शर्मा उपस्थित रहे।

मथुरा उत्तर प्रदेश से अमित शर्मा की रिपोर्ट
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