शरीर को ऊर्जावान एवं प्राणवान बनाने के लिए आवश्यक है दीर्घश्वसन-योग ऋषि आचार्य नीरज योगी

गाजियाबाद। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान के तत्वावधान में 10 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बच्चों,बड़ों ने मिलकर महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गोविंदपुरम में योगाभ्यास किया। इस कार्यक्रम में संस्थान की सभी कक्षाओं के करीब 500 साधकों एवं उनके परिवार जनों ने भाग लिया। ब्रज पाल सिंह ने ओ३म् की ध्वनि व गायत्री मंत्र का पाठ किया एवं योग ऋषि आचार्य नीरज योगी जी के साथ संस्थान के सभी ट्रस्टीयों ने दीप प्रज्वलित कर सत्र को प्रारंभ किया। महर्षि दयानन्द विद्यापीठ के छात्रों ने योग गीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संरक्षक डा रतन लाल गुप्ता ,डॉ आर के पोद्दार, विजय जिन्दल प्रवीण आर्य,केके कोहली एवं कैलाश गोयल ने पीतवस्त्र ओढ़ा कर एवं बुके देकर आचार्य जी को सम्मानित किया। मुख्य अतिथि बालेश्वर त्यागी (पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार) का स्वागत मुख्य संयोजक लक्ष्मण कुमार गुप्ता,के के अरोड़ा, अशोक शास्त्री एवं राजेश शर्मा, हरीओम सिंह एवं प्रमोद सक्सेना ने शाल ओढाकर एवं बुके देकर किया। संस्थान के महामंत्री दयानंद शर्मा ने आचार्य जी का परिचय देते हुए बताया कि आचार्य जी ने योगिक साइंस में ग्रेजुएट, 3 वर्ष नेचुरोपैथी का प्रशिक्षण कर डीपीएस में कार्यरत्त रहे।कई वर्षों तक तपस्या कर योग भारती ट्रस्ट,ऋषिकेश की स्थापना की,वर्तमान में योग शिक्षा के प्रचार प्रसार में लगे हैं।

परम पूज्य योग ऋषि आचार्य नीरज योगी जी ने उपस्थित साधकों को अभिवादन नमस्ते कर साधकों को मेरुदंड सीधा,नेत्रों को सहजता से बंद करा अंतर दृष्टि स्वांस प्रश्वास पर टिका के ज्ञानमुद्रा स्थिति में प्रणव ध्वनि ओंकार का गायन व सर्वे भवन्तु सुखिनः प्रार्थना कर ऋषि मुनियों को स्मरण करते हुए हाथों पैरों के सूक्ष्म व्यायाम,स्कंध संचालन, ताड़ासन,वृक्षासन, हस्तपादासन, वज्रासन, मंडूकासन,शशांकासन मकरासन, भुजंगासन,तितली आसान, शशांकासन का अभ्यास कराया।उन्होंने आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज़,आइसोटोनिक एक्सरसाइज का अभ्यास भी लाभों की जानकारी के साथ कराया तथा भुजंगासन,सर्पासन में रोलिंग क्रिया,मकरासन, शलभासन का अभ्यास कराया ओर बताया कि यह रीड व मस्कुलर सिस्टम के लिए लाभदायक हैं।वालासन में विश्राम कराया।पुनः ध्यान मुद्रा,चिन्ह मुद्रा,अभय मुद्रा की जानकारी देते हुए नासिकाग्रभाग पर ध्यानावस्था में बैठाया,पुनः उन्मुनि मुद्रा में बैठाया ओर बताया यह ध्यानावस्था में सहयोग करती है।श्यामभवी मुद्रा की जानकारी दी।शरीर को ऊर्जावान एवं प्राणवान बनाने के लिए आवश्यक दीर्घश्वसन (डीप ब्रिथिंग) का अभ्यास कराया ओर कहा जिसने स्वांसों को साध लिया उसके हार्ट बीपी नॉर्मल कार्य करेंगे।मन को अंतर्मुखी करने हेतु 5 ज्ञानइंद्रियां +5 कर्मेंद्रिया+5 तन्मात्राएं+5 महाभूत+4 अंतःकरण चतुष्टय (मन,बुद्धि, चित्त,अहंकार) 24 का ज्ञान विज्ञान समझाया इनको बाह्यमुखी होने से रोकना प्रत्याहार कहलाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के मुख्य शिक्षक शेर सिंह, चन्द्र शेखर शर्मा, ओम वीर सिंह, संत राम, स्कूल प्रशासन के श्री अवधेश की पूरी टीम का विशेष योगदान रहा।

ब्यूरो रिपोर्ट
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