“प्रेत दोष”

यदि कुंडली के पहले भाव में चन्द्रमा के साथ राहु हो और पंचम और नवम भाव में अशुभ ग्रह स्थित हो तो जातक भूत-प्रेत, पिशाच या बुरी आत्मावों के प्रभाव में होता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि चंद्रमा की अंतर्दशा राहु की महादशा में हो या राहु छठे, आठवें या बारहवें भाव में चंद्रमा को बुरी तरह प्रभावित कर रहा हो तो यह प्रेत दोष बनता